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मंत्रियों के विभागों का बंटवारा बघेल के लिए बना टेढ़ी खीर

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के नये मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा जितना आसान समझा जा रहा था, वैसा नहीं हुआ। कांग्रेस के ही लोग दबे लहजे में यह कहते नजर आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विभागीय बंटवारे की जो लिस्ट बना रखी थी उस पर टी.एस. सिंहदेव सहमत नजर नहीं आए।
कहीं पर ताम्रध्वज साहू की भी आपत्ति नजर आई। मुख्यमंत्री चाह रहे हैं गृह विभाग टी एस सिंहदेव एवं ताम्रध्वज साहू दोनों में से कोई एक सम्हाले, लेकिन दोनों ही इसके लिए तैयार नजर नहीं आ रहे। सिंहदेव वित्त विभाग चाह रहे, जबकि बघेल उसे अपने पास रखना चाह रहे हैं। विभागों पर असहमति का मामला अब दिल्ली के नेताओं के पास विचारार्थ पहुंच गया है।
बघेल की सरकार में मंत्री बनने से रह गए सीनियर विधायकों रामपूकार सिंह, सत्यनारायण शर्मा, धनेन्द्र साहू, अमितेष शुक्ल एवं लखेश्वर बघेल के गुस्से की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है कि पेंच विभागों के बंटवारे पर जा उलझा है।
सूत्रों के मुताबिक टी.एस. सिंहदेव ने पहले ही भूपेश बघेल के कान में बात डाल दी थी कि वे वित्त विभाग का काम देखना ज्यादा पसंद करेंगे। वहीं कल जब विभागों के बंटवारे को अंतिम रूप देते हुए बघेल मंत्री रविन्द्र चौबे, टी.एस. सिंहदेव एवं ताम्रध्वज साहू के साथ चर्चा करने बैठे पूरा मामला ही उलझ गया।
सूत्रों के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की ही तरह बघेल खनिज, ऊर्जा, वित्त एवं जनसम्पर्क जैसे विभागों को अपने पास रखना चाह रहे हैं, जिस पर सबसे पहले आपत्ति सिंहदेव ने लगाई। वित्त विभाग कोे लेकर उनकी शुरु से जो मंशा रही है उसे उन्होंने जता दी।
बघेल ने तो सिंहदेव के सामने गृह विभाग देने का प्रस्ताव बाद में रखा उसके पहले ही सिंहदेव प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया से बातचीत करते हुए साफ शब्दों में कह चुके थे कि लूट खसोट वाला गृह विभाग मुझे सूट नहीं करता। सिंहदेव ने यह बात 21 दिसंबर को कही थी।
एक तरह से मुख्यमंत्री को संकेत दे दिया गया था कि वे गृह विभाग थोपने का काम ना करें। माना जा रहा है कि यदि सिंहदेव एवं ताम्रध्वज दोनों में कोई भी गृह के लिए तैयार नहीं हुआ तो यह विभाग डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम को सौंपा जा सकता है। टेकाम आदिवासी समुदाय से हैं।
2004 में भाजपा सरकार में आदिवासी मंत्री को ही गृह विभाग देने की परंपरा जो शुरु हुई वह आखरी तक जारी रही। रामविचार नेताम, ननकीराम कंवर एवं रामसेवक पैकरा इसके उदाहरण हैं। माना जा रहा है कांग्रेस की इस सरकार में भी गृह विभाग आदिवासी मंत्री को दिया जा सकता है।  

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