छत्तीसगढ़

पुलिस की कार्रवाई से परेशान ऑटो चालकों ने गृहमंत्री के बंगले का किया घेराव

रायपुर। राजधानी में पुलिस की चलानी कार्रवाई से परेशान ऑटो चालकों ने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के बंगले का बुधवार की सुबह घेराव कर दिया है। ऑटो चालकों का आरोप है कि कागजात, परमिट होने के बावजूद पुलिस ने सैकड़ों ऑटो चालकों का चालान बनाया है।
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू बंगले में नहीं थे, लेकिन उनसे मिलने की जिद पर ऑटो चालक बाहर ही बैठे हुए थे। ऑटो चालकों की मांग है कि ग्रामीण परमिट को शहरी परमिट में तब्दील किया जाए।
ऑटो चालकों का कहना है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद ऑटो को लेकर शासन ने कोई भी नीति आज तक नहीं बनी है। यहां पर जो भी अधिकारी आए हैं वो अपना भर्रा शाही चलाकर नियम बनाकर गए हैं। परमिट जो होते है दो आधार पर होते है पहला नगर पंचायत का दूसरा नगर निगम का, नगर निगम के परमिट को इन्होंने ग्रामीण नाम से 2012 में चालू किया था. हम लोगों ने यह मांग की थी कि जो गाडिय़ां पुरानी होती है अगर वो चेंज करना चाहे तो पुरानी परमिट नई गाडिय़ों पर लागू कर दिया जाए. कुछ अधिकारियों के चलते वह नियम यहां लागू नहीं किया गया. इसका फायदा उठाकर कल से यहां की यातायात पुलिस ऑटो चालकों के ऊपर बड़े-बड़े चालान ठोक रही है.
उनका कहना है कि 12 हजार से लेकर 27 हजार तक का चालान काट रही है, जो कि उचित नहीं है. पूरा ऑटो संघ इसको लेकर आंदोलरत है. ट्रैफिक एडिशनल एसपी से जब बात हुई तो उनका कहना था कि आदेश गृह मंत्री का है और उन्होंने कहा है कि आप करवाई करिए, किसी की सुनने की आवश्यकता नहीं है. इसी के चलते अपनी मांग को लेकर मंत्री के पास आए हैं और इन सारी समस्याओं से अवगत कराया जाएगा. जो काम आज तक परिवहन में चलती रही है उस पर ध्यान आकर्षित कराया जाएगा. 2014 में इस विषय को लेकर बड़ा आंदोलन किया गया था उसके बाद एक सयुंक्त बैठक प्रशासन के साथ हुई थी. उसमें तत्कालीन आरटीओ ने गलती स्वीकार की और कहा था ग्रामीण परमिट नाम की कोई चीज नहीं होती है.
पूर्व आरटीओ की यह गलती है जिसको सुधारा जाएगा. जिनको परमिट जारी कर दिया है उस पर कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन 3 साल मामला शांत रहने ये बाद कल यातायात पुलिस जिनको लूटपाट का अवसर नहीं मिल रहा था, वह मौका पाकर कल से ग्रामीण परमिट के नाम पर प्रताडि़त कर रही है.

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