छत्तीसगढ़

इस आईएएस की अनूठी पहल: परिवार से ठुकराए, बीमार बुजुर्गों के लिए खोला ‘पेलेटिव केयर सेंटर’

जहां अपनों की तरह सेवा और अंतिम क्षण शांति से गुजारने में मदद करते हैं वालिंटियर, पैरालिसिस, कोमा, डिमेंशिया और बिस्तर पर अचेत पड़े रहने वाले बुजुर्गो की सेवा के लिए सेंटर

बिलासपुर। बिलासपुर के कलेक्टर आईएएस डॉ संजय अलंग ने एक बार फिर अनूठी पहल कर एक मिसाल पेश की है। अभी कुछ दिनों पहले वे उस समय चर्चा में आये जब उन्होंने जेल में बंद कैदी के साथ रह रही उसकी 6 साल की बच्ची का इंटरनेशनल स्कूल में एडमिशन कराया था। इस बार ये आईएएस फिर सुर्खियों में है। इस बार इन्होंने अनूठी पहल की है। उन्होंने बिलासपुर में पेलेटिव केयर सेंटर खुलवाया है। यहां पर ऐसे बुजुर्गों (60 वर्ष से अधिक) को रखा जाता है जो लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं और उनके परिजनों ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है या फिर उनका कोई नही है। कई बार उम्र के उस पड़ाव पर जब सबसे ज्यादा जरूरत परिवार के सदस्यों के स्नेह, सेवा की होती है, उन्हें अपनों ने छोड़ दिया होता है। परिजनों द्वारा अपने हाल पर छोड़े गए बुजुर्गों की देखभाल के लिए कलेक्टर ने पहल की।
यह एक ऐसी जगह है, जहां असाध्य रोग से ग्रसित पीड़ितों को पूरी सहायता दी जाती है। इस सेंटर में वालिंटियर बुजुर्गों की देखभाल सेवा भाव के साथ कर रहे हैं। पेलेटिव केयर सेंटर की स्थापना 60 वर्ष से अधिक उम्र के गंभीर रूप से बीमार बुजुर्गों की देखभाल करने के खास मकसद से की गई। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह मध्य भारत का पहला ऐसा केंद्र है जहां पर पैरालिसिस, कोमा, डिमेंशिया और बिस्तर पर निष्क्रिय अवस्था में रहने वाले बुजुर्गों को रख कर उनकी देखरेख की जाती है। संचालक डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि इसकी शुरुआत पिछले 23 अगस्त को की गई। उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से जब तक डॉक्टरों से आशा बंधी रहती है तब तक परिवार के लोग सेवा करते हैं लेकिन जब मर्ज लाइलाज हो जाता है, वह उन्हें अपने हाल पर छोड़ देते हैं। एेसी हालत में सेवा में कमी होने के कारण संसार से जाने की प्रक्रिया या अंतिम क्षण दुखद हो जाता है। इस विषय को लेकर कलेक्टर डॉ. संजय अलंग से चर्चा की तो उन्होंने भी इस दिशा में काम करने के लिए कहा। इसके बाद संकल्पित सेवा संस्थान ने समाज कल्याण विभाग की सहायता से पेलेटिव केयर सेंटर की स्थापना की। पेलेटिव केयर सेंटर में अंतिम क्षण तक बुजुर्गों की देखभाल की जाती है। मृत्यु होने पर 24 घंटे तक परिजनों का इंतजार किया जाएगा, नहीं आने पर उनका क्रियाकर्म संस्थान के द्वारा कराया जाएगा।
पेलेटिव केयर सेंटर में बुजुर्गों की देखभाल करते वालिंटियर व केयर सेंटर।
देखभाल के लिए टीम : बुजुर्गों की देखभाल के लिए डॉक्टर- 1, सीनियर नर्स-3, ट्रेनी नर्स-5, योगा शिक्षक-1, थेरेपिस्ट-1, सामाजिक कार्यकर्ता-1 के साथ ही अन्य स्टॉफ कार्य कर रहा है।
ये सुविधाएं दे रहे
बुजुर्गों की नर्सिंग केयर के साथ उन्हें योगा, फिजियोथेरेपी भी कराई जा रही। इसके साथ आध्यात्मिक क्षेत्र में धर्म के हिसाब से धर्म संसद बनी है जिसमें विभिन्न धर्मों के गुरु आकर शिक्षा देते हैं। इसका उद्देश्य यही है कि उनका अंतिम समय शांति से गुजर सके।
बुजुर्ग समाज की जिम्मेदारी हैं : हम समाज के लोगों को बताना चाहते हैं कि बुजुर्ग सिर्फ बच्चों की नहीं बल्कि समाज की जिम्मेदारी हैं। हमें उन्हें सहेजकर रखना है। पेलेटिव केयर सेंटर के माध्यम से हमारी कोशिश है कि यहां असाध्य रोग से पीड़ित बुजुर्गों की अंतिम सांस तक बेहतर से बेहतर सेवा की जाए।
डॉ. संजय अलंग, कलेक्टर

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