छत्तीसगढ़

पढ़े डीजी मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह तक कैसे पहुंची एसआइटी

रायपुर। नान घोटाले की जांच कर रही इओडब्ल्यू की पुरानी टीम में शामिल डीएसपी आरके दुबे से पूछताछ के दौरान उसके रजिस्टर में फोन टेपिंग के रेकॉर्ड मिले। एसआइटी का दावा है, दुबे ने इसके लिए मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को जिम्मेदार बताया। दुबे का कहना है, पूछताछ के दौरान जो रजिस्टर दिखाया उसमें कई जगह सफेदा लगा था, जब तक वह उनके पास था ऐसी कोई कांट-छांट अथवा सफेदा नहीं लगा था। बस यही से जांच पड़ताल चालू हुई और दोनों अफसरों की करतूत पकड़ी गई।
इस बीच इओडब्ल्यू आइजी एसआरपी कल्लूरी ने बिना अनुमति अदालत जाने पर डीएसपी आरके दुबे को लाइनअटैच कर निलंबित करने का प्रस्ताव गृहविभाग को भेजा है। इधर, एसआइटी प्रभारी आइके एलेसेला ने कहा, दोनों अफसरों के खिलाफ साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। पूछताछ के लिए दोनों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। इओडब्ल्यू के टीआइ जीवन प्रकाश कुजूर की शिकायत पर दर्ज हुई। एफआइआर में दोनों अफसरों पर नान घोटाले की जांच के दौरान अवैध रूप से नेताओं-अफसरों के फोन टेप करने, झूठे साक्ष्य गढऩे, जाली दस्तावेज तैयार करने और षडय़ंत्र रचने का आरोप है।
एफआइआर के पीछे इओडब्ल्यू ने अपने जिस डीएसपी आरके दुबे के बयान को आधार बनाया वह अदालत में मुकर गया। दुबे ने नान घोटाले की सुनवाई कर रही विशेष न्यायाधीश लीना अग्रवाल की अदालत में शपथ पत्र दिया। बाद में उसने बिलासपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के भी सामने पेश होकर कहा, नान घोटाले की जांच कर रही एसआइटी ने उससे जबरन बयान लिया है। एसआइटी के अफसर जांच के नाम पर गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं।
मुकेश गुप्ता और आईपीएस रजनेश सिंह को निलंबित
नान घोटाले में एफआईआर दर्ज होने के बाद छत्तीसगढ़ के सीनियर आईपीएस और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) के पूर्व महानिदेशक अफसर मुकेश गुप्ता और आईपीएस रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया गया है। गृह विभाग ने दो अफसरों के निलंबन का आदेश जारी कर दिया है। बतादें कि ईओडब्ल्यू ने गुरुवार-शुक्रवार की रात अपने ही विभाग के पूर्व महानिदेशक मुकेश गुप्ता और पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह पर गंभीर आरोपों में एफआइआर दर्ज की है।

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