छत्तीसगढ़

नरबलि के आरोपी तांत्रिक दंपती की फांसी के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में खारिज

बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट के तीन जस्टिस की खंडपीठ ने भिलाई के रूआंबांधा में मासूम बच्चों की बलि देने के आरोपित तांत्रिक दंपती की फांसी की सजा को यथावत रखा है। पुलिस ने इस चर्चित बलि कांड में छह नाबालिग समेत 12 लोगों को आरोपित बनाया था। भिलाई के रूआंबांधा निवासी पोषण राजपूत का दो वर्ष का पुत्र चिराग राजपूत 23 नवंबर 2011 को घर के सामने खेलते समय अचानक गायब हो गया। मोहल्ले के लोग उसकी तलाश करने लगे।
इस दौरान पड़ोस में रहने वाले ईश्वरी यादव व उसकी पत्नी किरण यादव की गतिविधियां संदिग्ध होने पर लोग उसके घर के अंदर गए। जमीन की मिट्टी खोदी हुई थी। इसके अलावा कटोरी में खून रखकर काली माता की मूर्ति के सामने रखा गया था। सूचना मिलते ही पुलिस मौके में पहुंची और जमीन की खोदाई कर मासूम के शव को जब्त किया। पुलिस ने इस घटना के पूर्व गायब हुई मासूम बच्ची मनीषा के संबंध में पूछताछ की।
आरोपित दंपती ने मनीषा की भी बलि चढ़ाने की बात स्वीकार की। पुलिस ने उसके घर की खोदाई कर मनीषा का भी शव बरामद किया। पुलिस ने दो अलग-अलग अपराध पंजीबद्घ कर न्यायालय में चालान पेश किया। दुर्ग सत्र न्यायालय ने अपराध के तरीके व मासूम चिराग की बलि को क्रूरता मानते हुए तांत्रिक दंपती ईश्वरी यादव व किरण यादव, उनके शिष्य सुखदेव, हेमंत महानंदा, निहालुद्दीन उर्फ खान बाबा को फांसी की सजा सुनाई।
इसी प्रकार मनीषा की हत्या के मामले में भी आरोपित तांत्रिक दंपती ईश्वरी व किरण यादव को फांसी व अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसके खिलाफ आरोपितों ने हाई कोर्ट में अपील की। हाई कोर्ट ने चिराग की हत्या के मामले में आरोपितों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

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