छत्तीसगढ़

नगरीय चुनाव दलीय आधार पर न कराने पर भी विचार उपसमिति की बैठक कल, एक्ट में बदलाव पर फैसला

रायपुर। पंचायत चुनाव की तरह नगरीय निकाय के चुनाव दलीय आधार पर नहीं करने पर भी विचार हो रहा है। इस पर कैबिनेट उपसमिति की बैठक में चर्चा हो सकती है। बताया गया कि सरकार कैबिनेट उपसमिति की अनुशंसा पर कोई फैसला लेगी।
हालांकि सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव दलीय आधार पर ही होंगे। फिर भी उपसमिति की अनुशंसा पर ही कोई फैसला लिया जाएगा। बताया गया कि मोटे तौर पर एक बात साफ हो चुकी है कि महापौर-अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली के जरिए होगा। यानी पार्षद ही महापौर अथवा अध्यक्ष का चुनाव करेंगे।
अविभाजित मध्यप्रदेश में वर्ष-1994 के चुनाव में भी इसी तरह की प्रणाली अपनाई गई थी। उस वक्त एक और भी बदलाव किया गया था दिग्विजय सिंह सरकार ने अंतिम समय में चुनाव को दलीय आधार पर नहीं कराने का फैसला लिया था। यह निर्णय तब हुआ था जब चुनाव चिन्ह का वितरण हो चुका था। इसके चलते निर्दलीय चुनाव लडऩे वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई थी। बाद में वर्ष-1999 में बदलाव आया और महापौर-अध्यक्ष का चुनाव सीधे होने लगा और दलीय आधार पर किया गया। तब से अब तक पुरानी व्यवस्था लागू है।
सूत्रों के मुताबिक उपसमिति चुनाव को दलीय आधार पर नहीं करने पर भी चर्चा कर सकती है। इसको लेकर अलग-अलग स्तरों पर सुझाव भी दिए गए हैं। वैसे भी जिला और जनपद के चुनाव दलीय आधार पर नहीं होते हैं। कुछ इसी तरह की व्यवस्था इसमें भी अपनाने पर विचार हो रहा है। उपसमिति की बैठक में तमाम बिंदुओं पर विचार कर एक्ट में बदलाव को लेकर अनुशंसा की जाएगी। इसके बाद कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश लाकर चुनाव कानून में बदलाव किया जाएगा।

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