छत्तीसगढ़

हाई कोर्ट ने कहा – पत्नी को अनुकम्पा के लिए उत्तराधिकार प्रमाण अनिवार्य नहीं

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने माना है कि मृत शासकीय सेवक की पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र देने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही बिजली कंपनी को 90 दिन के अंदर याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता अन्नपूर्णा रात्रे के पति सत्यम रात्रे छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के पेंड्रा कार्यालय में पदस्थ थे। 11 अगस्त 2016 को सत्यम की मौत हो गई। पति के मौत के चार माह बाद पांच दिसंबर 2016 को पुत्र का जन्म हुआ। इसके बाद याचिकाकर्ता ने शासन के निर्धारित प्रपत्र भर कर पति के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने पेंड्रा कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया।
विभाग ने उसके आवेदन को लंबित रखा था। तीन मार्च 2018 को विभाग ने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र नहीं देने पर आवेदन को निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ अन्नपूर्णा ने अधिवक्ता बृजेश सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इसमें कहा गया कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में शासन के विभिन्न सर्कुलर का पालन नहीं कर अनावश्यक रूप से आवेदन को तीन वर्ष तक लंबित रखने के बाद निरस्त किया गया।
किसी शासकीय सेवक का निधन होने पर उसकी पत्नी को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। मामले की सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि बिजली कंपनी ने पूर्व में याचिकाकर्ता के खाते में मृत कर्मचारी के देयकों का 65 हजार रुपये जमा कराया है।
इससे साबित होता है कि याचिकाकर्ता मृत कर्मचारी की पत्नी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हिन्दु उत्तराधिकार अधिनियम 1925 की धारा 372 में यह कहीं भी उल्लेख नहीं है कि वैध विवाहित पत्नी व उसके बच्चों को दिवंगत शासकीय कर्मी के किसी भी हित या अधिकार को प्राप्त करने के लिए संबंधित न्यायालय से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पेश करने की आवश्यकता है।
कोर्ट ने बिजली कंपनी को याचिकाकर्ता के पेन कार्ड, बैंक पासबुक, आधार कार्ड या बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में मृत कर्मचारी का नाम क्रमशः उल्लेखित है तो 90 दिन के अंदर अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया है।

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