Trump Nobel Nomination: ईरान पर हमले के बाद पाकिस्तान में ट्रंप के नोबेल नामांकन पर बवाल, शहबाज सरकार चौतरफा घिरी
Trump Nobel Nomination: डोनाल्ड ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन को लेकर पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार विवादों में घिर गई है। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन..

Trump Nobel Nomination: डोनाल्ड ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन को लेकर पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार विवादों में घिर गई है। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर हालिया हमले के बाद पाकिस्तान में इस फैसले की तीखी आलोचना शुरू हो गई है। मौलाना फजलुर रहमान समेत विपक्ष के कई नेताओं ने ट्रंप को शांति का दूत मानने पर सरकार की कड़ी निंदा की है और नामांकन तुरंत वापस लेने की मांग की है।
ट्रंप के समर्थन में भेजा गया था सिफारिश पत्र
पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में यह घोषणा की थी कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका को देखते हुए उन्हें 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया जाएगा। विदेश मंत्री इशाक डार ने बाकायदा नॉर्वे स्थित नोबेल कमेटी को इस बाबत सिफारिशी पत्र भी भेज दिया। लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसे परमाणु ठिकानों पर बमबारी कर दी, जिससे पाकिस्तान में सियासी पारा चढ़ गया।
मौलाना फजलुर रहमान का तीखा हमला
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि जो व्यक्ति वर्षों से ईरान, फिलिस्तीन, सीरिया और लेबनान पर सैन्य कार्रवाइयों का समर्थक रहा है, उसे शांति पुरस्कार के लिए नामित करना तर्क से परे है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर से ट्रंप की मुलाकात के बाद ही सरकार ने यह कदम उठाया है।
‘शांति दूत नहीं, युद्ध समर्थक हैं ट्रंप’ – मुशाहिद हुसैन
पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता मुशाहिद हुसैन सैयद ने ट्रंप को ‘शांति का दूत’ नहीं, बल्कि ‘युद्ध का उत्साही समर्थक’ करार दिया। उन्होंने कहा कि ट्रंप अब पूरी तरह से इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और युद्ध लॉबी के नियंत्रण में हैं। ऐसे व्यक्ति को नोबेल शांति पुरस्कार देना वैश्विक शांति के साथ मज़ाक है।
‘पाकिस्तान की छवि को नुकसान’ – रऊफ हसन
पीटीआई के वरिष्ठ नेता और रणनीतिकार रऊफ हसन ने भी सरकार के इस फैसले को पाकिस्तान की साख पर बड़ा धब्बा बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा ईरान पर हमले के बाद ट्रंप को शांति पुरस्कार के लिए नामित करना अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवहेलना और पाकिस्तान की कूटनीतिक समझ पर सवाल है।
पूर्व राजदूत और बुद्धिजीवियों ने भी जताई नाराजगी
पाकिस्तान की पूर्व राजदूत मलीहा लोधी और लेखक-कार्यकर्ता फातिमा भुट्टो ने भी इस फैसले पर नाराजगी जताई है। वरिष्ठ पत्रकार मरियाना बाबर ने इसे पाकिस्तान की विदेश नीति की विफलता करार देते हुए कहा कि इससे देश की वैश्विक छवि और अधिक धूमिल हो गई है।
सरकार पर बढ़ा दबाव
सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष ही नहीं, समाज के विभिन्न वर्गों से भी तीखा विरोध सामने आ रहा है। ऐसे में अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या शहबाज शरीफ सरकार डोनाल्ड ट्रंप के नोबेल नामांकन पर कायम रहती है या बढ़ते दबाव के बीच अपने कदम पीछे खींचती है।