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भाजपा को शराब की पीड़ा है या ब्रांड विशेष के एकाधिकार समाप्त होने की- त्रिवेदी

रायपुर। भाजपा द्वारा शराबबंदी पर सवाल खड़ा करने का कड़ा विरोध करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि सरकारी शराब दुकानों से खुद शराब बिकवाने वाली भारतीय जनता पार्टी को कोई शराबबंदी और राज्य की शराब नीति पर कोई भी सवाल खड़ा करने का अधिकार नहीं है। भाजपा के लोग बतायें कि उनको शराबबंदी की पीड़ा है या ब्रांड विशेष के एकाधिकार खत्म होने की।
त्रिवेदी ने एक बयान में कहा कि अभी कांग्रेस सरकार को बने एक पखवाड़ा भी पूरा नही हुआ है और राज्य में पुरानी सरकार की शराब नीति ही लागू है। यह जरूर हो रहा है कि सरकारी उपक्रम में भाजपा द्वारा चन्द विशेष लोगों को उनके ही उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित कर उपकृत किये जाने पर अंकुश लगाया गया है।
अपने पन्द्रह वर्षो के कुशासन और कुप्रबन्धन के दुष्परिणाम को डाॅ रमन सिंह जिसे बने उस कांग्रेस सरकार पर थोपने का प्रयास बन्द करें, अभी पन्द्रह दिन भी नही हुए हैं। कांग्रेस का शुरू से मानना है कि शराब एक सामाजिक बुराई है, इस पर अंकुश लगना चाहिए।
कांग्रेस ने शराबबंदी की बातें अपने घोषणा पत्र में कही है और घोषणा पत्र के वायदे के अनुसार उसका पूरी तरह अध्ययन कर राज्य के और राज्य के लोगो के हित में निर्णय लिया जाएगा। गली कूचे में शराब माफियाओं और उनके गुर्गों से आतंक फैलाने वाली भाजपा के लोग कांग्रेस को शिक्षा देने का काम न करें।
छत्तीसगढ़ की जनता भली भांति जानती, समझती है कि रमन सरकार की शराब नीति किनके लिये किनके द्वारा किनके इशारों पर बनाई जाती थी?
त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी थी और छत्तीसगढ़ में कानून का राज्य समाप्त हो गया था। सर्वत्र अराजकता व्याप्त थी। भाजपा के जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार नेताओं ने कानून अपने हाथ में ले लिया था।
यह सब शराब कोचियों को संरक्षण देने के लिये किया गया। रमन सरकार में संसदीय सचिव ने भी शराबियों को संरक्षण दिया। इसके पहले धमधा में शराब कोचियों द्वारा मोटरसाईकल में परिवारजनों के साथ जा रही महिला के साथ सामूहिक अनाचार की शर्मनाक घटना घट चुकी।
पूरे प्रदेश में भाजपा की सरकार शराब की तस्करी और कोचियागिरी को संरक्षण देने में लिप्त थी। शराब तस्करों, कोचियों और शराबियों को संरक्षण देने में पूरी भाजपा सरकार लगी हुयी थी। कोचियागिरी रोकने वाले थानेदार के साथ गाली गलौज की गयी।
वैसे भी विरोध के स्वरों को दबाने, कुचलने के लिये गाली गलौज, मारपीट और प्रशासन तंत्र, पुलिस तंत्र का दुरूपयोग भाजपा की शासन में छत्तीसगढ़ में आम बात बन चुकी थी। तखतपुर में पुलिस के एक अधिकारी को शराबखोरी में बाधा बनने की कीमत चुकानी पड़ी।
तखतपुर में रमन सरकार के संसदीय सचिव को बचाने के लिये उन्हीं हथकंडों का इस्तेमाल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ होता रहा, जिन हथकंडों का इस्तेमाल कांग्रेस नेताओं, युवा कांग्रेसियों के खिलाफ भाजपा सरकार के इशारों पर पुलिस अधिकारियों के द्वारा किया जाता रहा।
 
त्रिवेदी ने कहा है कि 1 मार्च 2017 में भाजपा विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बड़े दंभ के साथ कहा था कि करेंगे शराबबंदी, चाहे हार जायें, बांटेंगे नहीं शराब और कहा था कि सरकार शराबबंदी की ओर कदम बढ़ा चुकी है।
लेकिन 2010-11 में भी शराब बिक्री से राजस्व में 1128 करोड़ था जो चुनावपूर्व साल में 237 देशी, 436 विदेशी शराब दुकानों के बंद किये जाने के बावजूद 2011-12 में बढ़कर 1624.35 करोड़ हो गया। अर्थात 33 प्रतिशत शराब बिक्री से हुयी।
छत्तीसगढ़ में 40,000 करोड़ की शराब बिक्री में से 30 प्रतिशत व्यवस्थापन में मिलता रहा, जिसे 50 प्रतिशत करने के लिये शराब की सरकारी बिक्री का ढोंग रचा गया। आदिवासी इलाकों में सिंचाई में 0 प्रतिशत तत्परता वाली रमन सरकार ने मधुशाला खोलने में सरकारी शराब अड्डे खोलने में गजब की 100 प्रतिशत तत्परता दिखाई।

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