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दिल्ली में बढ़ा वायु प्रदुषण , 10 दिन का अलर्ट जारी

नई दिल्ली : नवंबर के शुरुआती 10 दिनों में राजधानी वालों को सर्वाधिक वायु प्रदूषण से जूझना पड़ सकता है। केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के टास्क फोर्स ने ऐसे हालात पर नियंत्रण लगाने के मकसद से पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण अथॉरिटी को कई सुझाव दिए हैं। इसके तहत इन 10 दिनों की अवधि में दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्यों को बंद करने के सुझाव हैं। 4 से 10 नवंबर के दौरान कोर और बायोगैस प्लांट बंद रखने का भी सुझाव दिया गया है।
इस बीच 7 नवंबर को दीपावली भी है, जिसमें आतिशबाजी की वजह से प्रदूषण और बढ़ेगा। पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से भी वातावरण खराब हो रहा है। बोर्ड की टास्क फोर्स ने थर्मल और वेस्ट एनर्जी प्लांट को इससे छूट देने को कहा है। सुझावों के तहत कहा गया है कि ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट विभाग प्रदूषण से जुड़े मामलों की सघन जांच करे। खासतौर से प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की सख्ती से जांच हो। दिल्ली और आसपास के नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम शहरों में जांच जरूरी है। इसके साथ ही लोगों को सुझाव दिया गया है कि वे कम यात्रा करें। प्राइवेट गाड़ियों की जगह सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें। इन सुझावों पर अमल करने को लेकर अंतिम फैसला पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण अथॉरिटी को लेना है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार आठ से दस बजे तक पटाखे जलाने की अनुमति लागू होने के बाद दक्षिणी नगर निगम जगह तलाशने लगा है। निगम वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उन स्थानों की तलाश कर रहा है, जहां पर लोग सामूहिक तौर पर दीपावली पर आतिशबाजी कर सकेंगे। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की अध्यक्ष शिखा रॉय ने बताया कि दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण राजधानीवासियों के लिए चिंता का विषय है। प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है, इसके लिए निगम चिंतित है। निगम ने लोगों को दीपावली पर पटाखे जलाने के लिए विकल्प देने की तैयारी शुरू कर दी है। रॉय ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में सभी जोन के उपायुक्तों को निर्देश दिए हैैं कि वह अपने क्षेत्र में ऐसे स्थलों की पहचान करें, जहां पर लोग आतिशबाजी कर सकें। फिलहाल, लोगों को दीपावली पर पटाखे जलाने के लिए स्थल की पहचान में निगम उन स्कूलों और समुदाय भवनों के साथ खेल के मैदानों की पहचान करेगा, जहां पर लोग सामूहिक रूप से आतिशबाजी कर सकते हैैं।
दिल्ली में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बेहद खराब होकर ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंच गया। शाम करीब 7 बजे पालम में एक्यूआई का स्तर 660, मुंडका का स्तर 621, श्रीनिवास पुरी का स्तर 504, पंजाबी बाग का स्तर 425, रोहिणी का स्तर 384 व जेएनएल स्टेडियम का स्तर 382 रहा। सभी जगहों पर सुबह और शाम के वक्त प्रदूषण की स्थिति ज्यादा खराब रही। जानकारों के मुताबिक, दिल्ली की लैंडफिल साइट्स में लगी आग की वजह से उठने वाला धुआं भी वातावरण को दूषित करता है। दिल्ली दमकल सेवा के अधिकारी ने बताया कि भलस्वा लैंडफिल का कुछ हिस्सा सुलग रहा है और दमकल की एक गाड़ी वहां तैनात है। दक्षिणी निगम ने सभी जोन में रात के वक्त गश्त बढ़ा दी है। कूड़ा और लकड़ी जलाकर हाथ सेंकने वालों के खिलाफ भी चालान कटेगा।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की अध्यक्ष शिखा रॉय ने बताया कि निगम जिन स्थलों पर पटाखे जलाने की अनुमति देगा, वहां पर प्रदूषण को कम करने के उपाय और स्लोगन होंगे और लोगों से भी अपील की जाएगी कि वे कम से कम पटाखे का जलाएं और लोगों को भी इसके लिए जागरूक करें।
वायु गुणवत्ता पर वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के प्रतिकूल प्रभाव को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने परिवहन मंत्रालय को निर्देश दिए हैं कि इस बात का अध्ययन कराया जाए कि राष्ट्रीय राजधानी में सड़कों की क्षमता के अनुपात में कितने वाहनों को आने की अनुमति दी जा सकती है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि अवैध पार्किंग और अतिक्रमण की समस्या न केवल दिल्ली में, बल्कि सभी बड़े शहरों में गंभीर है। पीठ ने कहा कि शहर में सड़कों की क्षमता के अनुपात में कितने वाहनों को आने की अनुमति दी जा सकती है, यह सवाल महत्वपूर्ण है। पर्यावरण के व्यापक हित में एक नीति बनाने पर विचार करना जरूरी है।

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