छत्तीसगढ़

जंगल में पानी नहीं, राजधानी के पास समोदा में हाथियों ने डाला डेरा

वन विभाग पीवीसी पाइप पर जीई तार चार फीट और छह फीट की ऊंचाई पर लगाकर हाथियों को रोकने का काम करेगा

रायपुर। पानी की तलाश में भटकते जंगली हाथी राजधानी की तरफ रुख कर रहे हैं। गर्मी के दिनों में चूंकि जंगल में पानी नहीं है, इसलिए हाथियों का दल महानदी पर बने समोदा डैम तक पहुंच रहे हैं। वन विभाग का भी मानना है कि पानी के लिए हाथी गुल्लू गांव में आकर डेरा डाले हुए हैं। वन विभाग के अधिकारी के मुताबिक ओडिशा की तरफ से भटककर आने वाले हाथियों को यहां आसानी से भोजन और पानी मिल रहा है। इस कारण वे अक्सर यहां आ रहे हैं। ज्ञात हो कि पिछले दो साल से जंगली हाथियों का झुंड करीब सात से आठ बार राजधानी के करीब गुल्लू गांव के आसपास आ चुका है। पिछले सप्ताह भी 17 हाथियों का झुंड गुल्लू गांव पहुंच गया था। भोजन की तलाश में निकले हाथियों ने एक किसान को मौत के घाट उतार दिया।
वन विभाग का अमला गांव पहुंचा तो गांव वालों ने बताया कि महानदी में समोदा बांध से तकरीब नौ किलोमीटर की दूरी पर किसानों को राहत देने के लिए एनीकट बनाया गया है। एनीकट की वजह से अब गर्मी में भी गुल्लू गांव के आसपास महानदी में पानी रहता है, इसलिए पानी की तलाश में हाथी यहां पहुंच रहे हैं।
वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि हाथियों का यह झुंड ओडिशा के जंगल से भटक कर यहां पहुंच रहा है। हाथियों का झुंड पिछले तो साल से करीब आठ बार राजधानी में प्रवेश कर चुका है। उसके बाद भी वन विभाग की आंख नहीं खुल रही है। वन विभाग के अधिकारी जंगली हाथियों के नाम पर कागजों में दिशा निर्देश दे रहे हैं बाकी नतीजा शून्य है।
रोकने की कोशिश बस हवा-हवाई
वन विभाग के अधिकारियों ने राजधानी में जंगली हाथियों का प्रवेश रोकने के लिए बेरिकेड लगाने का निर्णय लिया है। अधिकारियों का मकसद था कि बारनवापारा से रायपुर तक पहुंचने तक हाथियों के सात पड़ाव हैं। ये पड़ाव हैं-लवन, अमेठी, कुकराडीह, पसराडीह, गुल्लू, समोदा, फरफौद आदि।
वन विभाग पीवीसी पाइप पर जीई तार चार फीट और छह फीट की ऊंचाई पर लगाकर हाथियों को रोकने का काम करेगा। उसके बाद हाथी जैसे-जैसे पीछे जाएंगे, बेरिकेड को खिसकाया जाएगा।
यह लगभग दो किलोमीटर की तक रहेगा । बेरिकेड में लगने वाले तार को बैटरी से जोड़कर उसमें रुक-रुक कर करंट आएगा, जिससे हाथी आसानी से वापस लौट जाएंगे, लेकिन वन विभाग द्वारा बनाई गई यह योजना भी कारगर साबित नहीं हो रही है।

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