छत्तीसगढ़

बिना गारंटी का 50 लाख का लोन मोदी का नया जुमला – कांग्रेस

कांग्रेस की यूपीए सरकार बिना गारंटी के 1.5 करोड़ का लोन देती थी, मोदी सरकार ने बंद कर दिया, नोटबंदी, जीएसटी से व्यापारियों की कमरतोड़ने वाले चुनाव में घड़ियाली आंसू बहा रहे

रायपुर। छोटे व्यापारियों को बिना गारंटी के 50 लाख लोन देने की मोदी की घोषणा को कांग्रेस ने नया जुमला बताया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि नोटबंदी, जीएसटी से व्यापारियों की कमरतोड़ने वाले चुनाव में घड़ियाली आंसू बहा रहे। 5 साल तक सरकार चलाने के दौरान भाजपा और मोदी को व्यापार और उद्योग की चिंता नहीं हुई। जब पूरे देश में व्यापार जगत के लोग भाजपा के विरोध में है तो चुनावी वैतरणी पार करने के लिये 50 लाख बिना गारंटी के लोन देने की जुमलेबाजी कर रहे है। मनमोहन सिंह सरकार के समय बिना बंधक के 1.5 करोड़ तक का ऋण सी.जी.टी.एम.सी. योजना के तहत छोटे व्यापारियों को मिलता था जिसे मोदी सरकार के आने के बाद बंद कर दिया गया। अब चुनाव में वोटो की खातिर मोदी उसी योजना की दो हिस्से में कटौती कर फिर से शुरू करने का चुनावी झूठा वायदा कर रहे है। व्यापारियों को नियम कायदे में इतना उलझा दिया है कि छोटा व्यापारी कोई नया व्यवसाय, उद्योग शुरू करता है तो उसकी कागजी कार्यवाही में आधी ऊर्जा और समय बर्बाद हो जाता है। इसीलिये कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में नया व्यापार शुरू करने पर 3 साल तक कागजी औपचारिकता से छूट देने का वायदा किया है।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि नोटबंदी जैसा अराजक निर्णय लेकर मोदी सरकार ने व्यापार, व्यवसाय की कमर तोड़ दिया था। एक झटके में सारे देश के व्यापारियों को चोर साबित कर दिया गया था। देशभर के हजारों लोगों का व्यवसाय और रोजगार मोदी के नोटबंदी के तुगलकी निर्णय के कारण बंद हो गया। तालाबंदी हो गयी। लोग नोटबंदी के मार से उबरे नहीं थे फिर से अदूरदर्शीपूर्वक जीएसटी कर व्यापारियों पर थोप दिया गया। जीएसटी में भी व्यापारियों की ईमानदारी पर मोदी सरकार ने सवालिया निशान लगा दिया। पहले हर महिने रिटर्न की बाध्यता की गयी, फिर दो महिने और तीन महिने किया गया। व्यापारी जीएसटी की विषमता और परेशानियों के कारण खुलेमन से व्यापार नहीं कर पा रहे। मोदी और उनकी सरकार की नीयत और नीति कभी छोटे व्यापारियों के मदद की रही ही नहीं मोदी सरकार के फैसले पूरे पांच साल तक देश के चंद बड़े औद्योगिकघरानों को ही फायदा पहुंचाने वाला रहा है, जो निर्णय लिये गये उससे सिर्फ अडानी, अंबानी जैसे बड़े उद्योगपतियों को ही भला हुआ।

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