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CG VIRAL VIDEO CASE | सड़कों पर स्टंट और रील्स पर हाईकोर्ट सख्त, कहा – “सड़क किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं”

 

रायपुर, 08 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ में सड़कों पर बर्थडे सेलिब्रेशन, स्टंटबाजी और रील्स बनाने जैसी बढ़ती घटनाओं पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सार्वजनिक सड़कें किसी की निजी संपत्ति नहीं हैं और इस तरह की गैरकानूनी हरकतें आम नागरिकों की जान के लिए खतरा बन सकती हैं।

मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने इन मामलों पर गंभीर टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से संतोषजनक जवाब न मिलने पर कड़े कदम उठाने के संकेत दिए हैं।

हाईकोर्ट के संज्ञान में आए तीन प्रमुख मामले –

1. हाईवे पर रील्स और जाम (20 जुलाई 2025)

बिलासपुर में कुछ रसूखदार युवकों ने नई कार की खरीद पर जश्न मनाने के लिए नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया। बीच सड़क पर कारें खड़ी कर रील्स और वीडियोग्राफी की गई, जिससे लोगों को भारी परेशानी हुई।

पुलिस ने शुरुआत में केवल ₹2000 जुर्माना लगाया, लेकिन हाईकोर्ट की सख्ती के बाद FIR दर्ज हुई।

2. सनरूफ से सेल्फी का स्टंट (रायपुर)

चलती कार के सनरूफ से युवक बाहर निकलकर सेल्फी और वीडियो बनाते नजर आए। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिस पर कोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में संज्ञान लिया और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए।

3. डीएसपी की पत्नी का बर्थडे स्टंट (अंबिकापुर)

सरगवां पैलेस होटल के पास गाड़ी के बोनट पर केक सजाकर जन्मदिन मनाया गया, जिसमें बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के डीएसपी तस्लीम आरिफ की पत्नी शामिल थीं।
हाईकोर्ट ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता माना और पुलिस की भूमिका पर नाराजगी जताई।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी –

“₹2000 का जुर्माना कोई सजा नहीं, यह मजाक है।”

“अमीरजादों पर मामूली कार्रवाई से कानून का डर खत्म हो रहा है।”

“ऐसा रवैया राज्य में अराजकता फैला सकता है।”

“अगर संतोषजनक रिपोर्ट अगली सुनवाई में नहीं आई, तो अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे।”

मुख्य सचिव के शपथपत्र पर नाराजगी –

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र मांगा था। 7 अगस्त को पेश इस शपथपत्र में बताया गया कि पुलिस ने इन मामलों में FIR दर्ज की और जुर्माना वसूला है।

कोर्ट ने इसे अधूरी कार्रवाई मानते हुए पूछा कि जांच में अब तक क्या सामने आया और क्या ठोस कदम उठाए गए हैं?

अगली सुनवाई अहम –

हाईकोर्ट ने संकेत दिए हैं कि यदि अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट संतोषजनक नहीं हुई, तो संबंधित पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है।

 

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