हसदेव अरण्य बचाने जारी है आदिवासियों का धरना,सोशल मीडिया में दिख रहा समर्थन
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने परसा कोल ब्लॉक में खनन को मंजूरी दे दी है, इसके साथ ही हसदेव अरण्य के आदिवासियों के अपने गांव और जंगलों और देव स्थानों को बचाने के लिए संघर्ष बढ़ गया है। सरगुजा की परसा खदान से प्रभावित होने वाले हरिहरपुर गांव में बीते 56 दिनों से आदिवासियों का धरना जारी है। आदिवासी कभी सरकार से गुहार लगाते है ,तो कभी भगवान से की किसी तरह उनका गांव,जंगल सलामत रहे।
हसदेव अरण्य क्षेत्र में जल-जंगल और जमीन को बचाने के लिए सैकड़ों की तादाद में ग्रामीण 2 मार्च से सरगुजा जिला के ग्राम हरिहरपुर में अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हैं.ग्रामीणों का कहा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रभावित गांव साल्ही, हरिहरपुर और फतेहपुर गांव के लोगों की बातें नहीं सुनी जा रही है. ग्रामसभाओं ने खनन परियोजना को सहमति नहीं दी.वहीँ छत्तीसगढ़ के कई समाजिक संगठन के साथ साथ युवाओं में भी भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है.
सरगुजा के परसा कोयला खदान से प्रभावित ग्रामीणों का कहना था, छत्तीसगढ़ सरकार ने कोयला खनन परियोजना को फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव के आधार पर आगे बढ़ाया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कभी भी किसी खनन परियोजना को स्वीकृत नहीं किया है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 6 अप्रैल को परसा कोल ब्लॉक में खनन परियोजना के लिए वन स्वीकृति जारी की थी। परसा खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित की गई है। सरकार की तरफ से खनन को हरी झंडी दिए जाने के बाद भी आदिवासियों का संघर्ष अब भी जारी है। खदान से प्रभावित गांव साल्ही, हरिहरपुर और फतेहपुर के ग्रामीण विरोध जारी रखे हुए हैं।
#savehasdeo हैशटैग के साथ स्टॉप अडानी के भी हैशटैग चलाये जा रहे है आपको बता दे के स्टॉप अदानी #stopadani के नाम पर कुछ बड़े देशो में पहले भी कई बार आंदोलन रेली निकाली जा चुकी है बल्कि #stopadani के नाम पर वेबसाइट भी बनायी गयी है