मनोज मंडावी के अंतिम संस्कार में उमड़ी कार्यकर्ताओं की भीड़, एक दिन का राजकीय अवकाश
16.10.22| छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष और भानुप्रतापपुर के विधायक मनोज मंडावी का रविवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके पैतृक गांव नथिया नवा में बेटे ने मुखाग्नि दी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, शिव डहरिया, PCC चीफ मोहन मरकाम समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए। मनोज मंडावी को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने साथी को कंधा देकर विदा किया. मनोज मंडावी की अंतेष्टि में सीएम बघेल की आंखें नम दिखीं. वे अपने मित्र को याद कर भावुक नजर आए. बघेल ने मंडावी को याद करते हुए दुख जताया है.इसके पहले सीएम बघेल ने कहा था कि मनोज मंडावी ने अपने गांव की एक मंदिर देखने बुलाया था, लेकिन आज उनके गांव जाना तो हो रहा है, पर उनकी अंतिम यात्रा में.
बघेल ने कहा कि हम अच्छे मित्र थे, हर विधानसभा में साथ रहते थे. मनोज मंडावी शिव भक्त थे. शिव मंदिर में घण्टों बैठे रहते थे, अचानक निधन का समाचार प्राप्त हुआ विश्वास नहीं हो रहा.
विधानसभा के उपाध्यक्ष मनोज मंडावी की अंतिम विदाई में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कवासी लखमा के अलावा नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया, PCC अध्यक्ष मोहन मरकाम, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया, रामानुजगंज विधायक बृहस्पति सिंह, नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी, जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन, राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय, भिलाई विधायक देवेंद्र यादव, नगरी विधायक लक्ष्मी ध्रुव भी मौजूद हैं। इसके साथ ही हजारों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।
छत्तीसगढ़ विधानसभा उपाध्यक्ष और भानुप्रतापपुर विधायक मनोज मंडावी के निधन पर एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। राजधानी रायपुर और कांकेर में आज राजकीय शोक रहेगा। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
तीन बार विधायक रहे और बस्तर क्षेत्र में पार्टी का अहम आदिवासी चेहरा रहे मंडावी 2000 से 2003 के बीच राज्य में अजीत जोगी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के दौरान गृह एवं कारागार मंत्री थे. मंडावी के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1990 के दशक में यूथ कांग्रेस से हुई थी.
वो मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके थे. इसके बाद 1998 में मनोज मंडावी पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे. छत्तीसगढ़ का गठन होने के बाद उन्होंने अजीत जोगी के शासन में PWD और नगरीय प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी भी संभाली थी.