सीएम विष्णुदेव साय की बड़ी घोषणा : कोल परिवहन की एनओसी और परमिट अब से ऑनलाइन…
07.02.24| छत्तीसगढ़ में कोल परिवहन के लिए अब से ऑनलाइन टीपी जारी होगी. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज विधानसभा में इसकी घोषणा की है. साय ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान खनिज संचालक ने आदेश जारी कर ऑनलाइन परमिट की प्रचलित व्यवस्था को ख़त्म कर ऑफ़लाइन कर दिया था. इस वजह से कोल परिवहन में भ्रष्टाचार का समावेश हो गया. इससे राज्य की छवि ख़राब हुई. ईडी इस मामले की जांच कर रही है. खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक समेत कई अफसर जेल में हैं. विष्णुदेव साय ने कहा कि पारदर्शिता और सुशासन हमारी सरकार की प्राथमिकता है.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सदन में बताया कि खनिज विभाग द्वारा एक आदेश जारी हुआ था. संचालक के द्वारा 15 जुलाई 2020 को इस आदेश के द्वारा यह व्यवस्था दी गई थी कि खनिज सम्मिलित द्वारा ई परमिट का भौतिक सत्यापन करने के बाद ही इस ट्रांजिट पास किया जा सकेगा. इसके पहले जो ऑनलाइन प्रक्रिया थी, उसे बंद कर कर ऑफलाइन किया गया, जिसके कारण परिवहन में भी लेट होता था, और भ्रष्टाचार का भी समावेश हो गया था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोयला परिवहन में भ्रष्टाचार हुआ था, छवि खराब हुई थी. ईडी उस पर जांच भी कर रही है. कई लोग, संचालक, माइनिंग ऑफिसर आज जेल के अंदर हैं. इससे प्रदेश की छवि खराब हुई. लेकिन आज मुझे बताते हुए गौरव हो रहा है कि हमारी सरकार पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन को ध्यान में रखते हुए 15 जुलाई 2020 के कानून को निरस्त किया है, और अब ऑनलाइन टीपी जारी होगा.
इसके पहले सदन में राजेश मूणत ने कोयला परिवहन का मुद्दा उठाते हुए सवाल किया कि खनिज विभाग के किस अधिकारी ने और किसकी सहमति से ऑनलाइन प्रक्रिया में संशोधन को हरी झंडी दी? कोल परिवहन के नाम पर अवैध वसूली का खेल चला. कौन-कौन अधिकारी जांच के घेरे में है, और क्या कार्रवाई हुई है? मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बगैर परिवहन पास प्राप्त किए परिवहन किया जा रहा था. संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 2020 में नये निर्देश दिए थे, जो जेल में है. एंटी करप्शन ब्यूरो में भी मामला विवेचनाधीन है. संबंधित मामले में ईडी भी जांच कर रही है.
ईडी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में करीब 540 करोड़ रुपये का कोयला घोटाला हुआ है. इस पैसे का उपयोग राजनीतिक खर्च, बेनामी संपत्तियों को बनाने और अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया है. ईडी ने अपनी जांच में पाया कि छत्तीसगढ़ में कोल लेवी के लिए अधिकारियों, व्यापारियों और राजनेताओं का एक कार्टेल था, जो कोयला परिवहन के जरिए प्रति टन 25 रुपए की वसूली किया करता था.