छत्तीसगढ़

Unique Holi of Gariaband: गौ पद लेने की परंपरा और यज्ञ की राख से होली खेलने की अनूठी परंपरा

Unique Holi of Gariaband: गौ पद लेने की परंपरा और यज्ञ की राख से होली खेलने की अनूठी परंपरा– छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में हर साल होली से...

14, March, 2025 | Unique Holi of Gariaband: गौ पद लेने की परंपरा और यज्ञ की राख से होली खेलने की अनूठी परंपरा– छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में हर साल होली से पहले विश्व शांति महिमा सम्मेलन का भव्य आयोजन किया जाता है, जिसकी शुरुआत एक विशाल शोभायात्रा से होती है। इस आयोजन की विशेषता यह है कि श्रद्धालु अपने शरीर पर गौ माता के पद लेने की अनूठी परंपरा निभाते हैं। मान्यता है कि इस धार्मिक अनुष्ठान से सभी प्रकार के शारीरिक कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

गौ माता की शोभायात्रा और गौ पद लेने की अनूठी परंपरा
इस वर्ष भी लगभग 3 किलोमीटर लंबी शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें सफेद कालीन बिछाकर गौ माता को सम्मानपूर्वक उस पर चलाया गया। इस दौरान श्रद्धालु कालीन पर लेटकर गौ माता के पग का आशीर्वाद लेते हैं, जिसे ‘गौ पद लेना’ कहा जाता है। इस विशेष अनुष्ठान में देशभर से हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।

भाजपा संगठन महामंत्री पवन साय भी हुए शामिल
यह धार्मिक आयोजन न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में आस्था और प्रकृति संरक्षण का संदेश भी देता है। इस आयोजन में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय भी शामिल हुए। इसके अलावा संघ प्रांत प्रचार प्रमुख संजय तिवारी, प्रांत गौ सेवा प्रमुख वीर अन्ना सफारे, हिंदू जागरण मंच के प्रदेश पदाधिकारी सौरभ दुबे, प्रसिद्ध कथा वाचक युवराज पांडेय, जिला पंचायत अध्यक्ष गौरी शंकर कश्यप और अन्य कई गणमान्य लोग भी इस आयोजन में उपस्थित रहे।

तीन दिवसीय यज्ञ और विशेष होली परंपरा
इस महोत्सव के अंतर्गत तीन दिनों तक औषधीय लकड़ियों से विशेष यज्ञ किया जाता है। इस यज्ञ की राख को पवित्र और औषधीय माना जाता है। होलिका दहन के अगले दिन श्रद्धालु इसी यज्ञ की राख से तिलक कर होली खेलते हैं। यह परंपरा प्रकृति प्रेम, आध्यात्मिकता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने का एक अनूठा माध्यम मानी जाती है।

बाबा उदयनाथ की गौशाला: 800 गौवंश की सेवा
इस आयोजन के प्रेरणास्त्रोत बाबा उदयनाथ, आलेख महिमा संप्रदाय के प्रमुख संत हैं, जिनके 5000 से अधिक अनुयायी हैं। उनकी गौशाला में 800 से अधिक गौवंश हैं, जिनकी सेवा के लिए 100 से अधिक सेवादार 11 एकड़ में फैले गौशाला सह आश्रम में कार्यरत हैं। यहां प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और गौ मूत्र से औषधियां तैयार की जाती हैं, जो कई प्रकार के रोगों के उपचार में उपयोगी होती हैं। इसके अलावा, आश्रम में शुद्ध दूध, दही, घी और शहद का उत्पादन भी किया जाता है।

गौ सेवा और नशा मुक्ति अभियान
बाबा उदयनाथ ने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य गौ सेवा, पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही वे नशा मुक्ति अभियान भी चला रहे हैं, जिससे अब तक सैकड़ों लोगों का जीवन सुधर चुका है। आयोजन में भाग लेने वाले श्रद्धालु न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ते हैं, बल्कि समाज कल्याण के कार्यों में भी योगदान देते हैं।

इस अनूठे आयोजन ने गरियाबंद को आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना दिया है, जहां परंपराओं और आस्था के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी विशेष संदेश दिया जाता है।

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