GAURAV TIWARI MYSTERY | 9 साल बाद भी अनसुलझा सवाल, सुसाइड या पैरानॉर्मल सच?

नई दिल्ली। हाल ही में रिलीज हुई एक वेब सीरीज ने एक बार फिर भारत के पहले पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर गौरव तिवारी की रहस्यमयी जिंदगी और मौत को चर्चा में ला दिया है। यह सीरीज दिल्ली निवासी गौरव तिवारी की सच्ची कहानी पर आधारित है, जिन्होंने विज्ञान के सहारे भूत-प्रेत और अलौकिक घटनाओं की जांच कर देशभर में पहचान बनाई थी। लेकिन साल 2016 में उनकी अचानक हुई मौत आज भी एक अनसुलझा रहस्य बनी हुई है।
कौन थे गौरव तिवारी
गौरव तिवारी ने भारत में पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन को नई दिशा दी। उन्होंने सिंगापुर से पायलट की ट्रेनिंग ली थी, लेकिन उनका झुकाव शुरू से ही अलौकिक घटनाओं की तरफ रहा। साल 2009 में उन्होंने इंडियन पैरानॉर्मल सोसाइटी की स्थापना की और जल्द ही “घोस्ट हंटर” के नाम से मशहूर हो गए। एमटीवी जैसे चैनलों के शोज में हॉन्टेड जगहों पर रातें बिताकर उन्होंने अपनी बहादुरी दिखाई। उनकी टीम ने देश-विदेश में 6 हजार से ज्यादा लोकेशनों की जांच की, जहां गौरव हमेशा अंधविश्वास नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों पर जोर देते थे।
बाथरूम में मिली लाश, रहस्य गहराया
7 जुलाई 2016 की सुबह दिल्ली के द्वारका स्थित उनके फ्लैट में ऐसा हादसा हुआ, जिसने सबको हिला दिया। गौरव का शव बाथरूम में फर्श पर पड़ा मिला, उनकी गर्दन पर एक काला निशान था। परिजनों के मुताबिक, वह सुबह करीब 11 बजे बाथरूम गए थे, लेकिन काफी देर तक बाहर नहीं आए। पत्नी आर्या ने दरवाजा तोड़ा तो अंदर का मंजर चौंकाने वाला था। शुरुआती रिपोर्ट में मौत की वजह एस्फिक्सिया यानी सांस रुकना बताई गई।
आखिरी केस और 12 आत्माओं का दावा
मौत से कुछ दिन पहले गौरव ने वेस्ट दिल्ली के जनकपुरी में एक पैरानॉर्मल केस हैंडल किया था। एक युवती ने दावा किया था कि उसे 12 से ज्यादा आत्माएं परेशान कर रही हैं। गौरव ने इस मामले को गंभीरता से लिया। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने मौत से पहले पत्नी से कहा था कि कोई नेगेटिव फोर्स उन्हें खींच रही है। परिवार का मानना है कि पैरानॉर्मल एक्टिविटी का असर उन पर पड़ा, हालांकि इसका कोई ठोस सबूत कभी सामने नहीं आया।
सुसाइड या कुछ और?
पुलिस ने इस मामले को आत्महत्या मानते हुए जांच बंद कर दी। पोस्टमॉर्टम में न तो जहर मिला और न ही किसी बाहरी चोट के निशान। सिर्फ गर्दन का निशान मिला, जिसे खुद से लगाया जाना संभव बताया गया। लेकिन परिवार इस थ्योरी से सहमत नहीं है। पिता उमेश तिवारी का कहना है कि गौरव खुश थे, उनकी शादी को महज एक महीना हुआ था और कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर उनकी मौत की असली वजह क्या थी?
आज भी अनसुलझा रहस्य
गौरव तिवारी की मौत को 9 साल बीत चुके हैं, लेकिन बहस आज भी जारी है। कुछ लोग इसे मानसिक तनाव मानते हैं, तो कुछ पैरानॉर्मल दुनिया का बदला। उनकी टीम के सदस्य कहते हैं कि गौरव ने कभी डर नहीं दिखाया, लेकिन शायद कोई ऐसा सच था, जो वह दुनिया से छुपा रहे थे। वेब सीरीज के जरिए एक बार फिर यह रहस्य लोगों के सामने है, लेकिन जवाब आज भी अधूरे हैं।



