छत्तीसगढ़

एमजीएम मामले में आईपीएस मुकेश गुप्ता को मिली क्लीन चिट

एसडीएम कॊ एमजीएम के वकीलों ने दिया नोटिस का जवाब, ऑडिट रिपोर्ट और ट्रस्टियों की जानकारी पेश की

रायपुर। एमजीएम मामले में आईपीएस मुकेश गुप्ता को मिली क्लीन चिट । मिकी मेमोरियल ट्रस्ट (एमजीएम) से आईपीएस मुकेश गुप्ता से संबंध होने को लेकर उसकी भी जांच एसडीएम और जिला पंजीयक के द्वारा जांच शुरू की गई।
संस्था को 19 फरवरी को नोटिस दी गई। नोटिस में एमजीएम से ऑडिट रिपोर्ट के अलावा ट्रस्टियों की पूरी सूची मंगाई गई। सूची में अब तक लेनदेन सहित अन्य मामलों को जांच में लिया गया। एमजीएम की ओर से उनके वकील ने जवाब पेश करते हुए कई बिन्दुओं में नोटिस का जवाब दिया। इसमें बताया गया कि एमजीएम संस्था ने 2001-02 से अपना काम शुरू किया। तब से लेकर 2017-18 तक के ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी देकर बताया गया कि संस्था ने 14 करोड़ के इलाज नि:शुल्क किए है। संस्था ने प्रबंधक का पत्र जारी कर बताया कि संस्था के ट्रस्टियों में आईपीएस मुकेश गुप्ता शामिल नहीं हैं। उनके नाम पर संस्था को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने संस्था को लेकर यह भी कहा कि संस्था ने नेत्र चिकित्सा को लेकर पूरे प्रदेश में एक किर्तिमान भी स्थापित किया है। संस्था के वकीलों ने कहा कि संस्था को नैसर्गिक न्याया के सिंद्धांत के आधार पर अपना पक्ष रखने के बजाय प्रशासन के द्वारा भ्रामक प्रचार भी किया जा रहा है। अब इस मामलें में अखबारों ने भी कई ऐसे मामलों को छापा है जो संस्था के संबंध में गलत है। जवाब में प्रशासन से इसे रोकने का अनुरोध किया गया है।
निलंबित आईपीएस के रमन सिंह सरकार के समय इमानदार सिपहसलार के रूप में काम करने वाले निलंबित आईपीएस की कार्य कुशलता पर प्रश्न चिन्ह लग गया। हालांकि वे अपनी कार्य कुशलता से लगातार स्वच्छ छवि और साफ किरदार के लिए चर्चित रहे। हाल ही में बहुचर्चित एमजीएम के मामले में निलंबित आईपीएस की इशारा कर रहा था हालाकि चर्चा ये भी रही की भ्रामक खबरों की अफवाह ही फैली थी । खबरों को लेकर जिस संस्था में उनके सम्बन्ध की भ्रामक खबरों से ही बखेड़ा खड़ा हुआ था। संस्था ने निलंबित आईपीएस को क्लीन चिट देकर उनकी। कार्य क्षमता पर लगने वाली तोहमत से बचा लिया । और तमाम सवालों का जवाब भी दे दिया है । अब ऐसे में निलंबित आईपीएस एक बार फिर अपनी स्वच्छ साफ छवि के लिए चर्चित हो गए हैं।
जिला प्रसाशन की जांच तेज हो
एमजीएम ने बपना जवाब देकर निलंबित आईपीएस का रास्ता साफ कर दिया है और उनकी छवि पर लगने वाले दाग से भी बे दाग कर दिया है। और संस्थान अपने बचाव में जांच करने वाली जिला प्रशासन के तमाम सवालों का जवाब भी तथ्यों साथ दे रही है जिसे जिला प्रशासन दरकिनार कर रहा है।
गौर तलब हो कि छत्तीसगढ़ में एमजी एम नेत्र संस्थान भले ही उत्कर्ष सेवा के लिए चर्चा का विषय रहा हो, पर नेत्र रोगों की सफल सेवा के उद्देश्य के पीछे बहुत बड़ा गूढ रहस्य बना हुआ है । ओर इस गूढ़ रहस्य से पर्दा हटाने की कबायद तेज हो गई है । अब जिला प्रशासन ने जांच शुरू की और इसके जवाब खोजे जा रहे हैं कि 14 वर्षों में लगभग 15 करोड़ खर्च करने वाले संस्थान के पास इतना पैसा आया कहां से ओर इसका हिसाब किताब क्या है । इ
एमजीएम संस्थान के मामले सोशल मीडिया में चर्चित
सोश मीडिया में एमजीएम के 97 बैंक खाते होने की खबर सुखियाँ बनी है। हालाकि एमजीएम अपने 11 खातों की ही पुष्टि कर रहा है। इसके साथ ही सबसे बड़ी य िहै कि एमजीएम संश्थान ने जिला प्रशासन की हर जांच के बिन्दु पर तथ्य भी पेश किए और अपने वकील के माध्यम से नोटिसों के जबाब भी पेश किये जिसे जिला प्रशासान को नागवार गुजर रहा है । उधर निलंबित आई पी एस के सम्बन्ध संस्था से होने कि खबरे भी फैली जिसे संस्था ने भी सम्बन्ध होने से इनकार कर दिया।
एमजीएम के खाते है कितने ओर कौन खाते सही है कौन गलत
सुर्खियों में आई खातों की संख्या और निलंबित आईपीएस की भ्रामक खबरों में कितनी सच्चाई है इन सवालों का जबाब जिला प्रशासन तलाश रहा है। इस पूरे मामले की जांच भी अब रायपुर एसडीएम कर रहे हैं। एमजीएम में गड़बड़ी की जांच पर से पर्दा हटना अभी बाकी है। हालांकि एमजीएम की जांच के तथ्य जो भी सामने आए पर निलंबित आईपीएस का सम्बंध एमजीएम संश्थान से न होने की संस्था ने कही है।

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