छत्तीसगढ़

चुनावी शोर के बीच चूपचाप पलायन कर गए कमार

रायपुर। मतदान के बाद किसकी सरकार बनेगी को लेकर हर तरफ अटकलों का दौर जारी है, वहीं इन सब से परे रहते हुए कुल्हाड़ीघाट के कमार जनजाति के लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य पलायन कर गए। प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। न ही किसी राजनीतिक पार्टी के पास इनके बारे में बात करने के लिए फिलहाल समय है। कुल्हाड़ीघाट गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड का हिस्सा है। जहां विलुप्त हो रही कमार जनजाति के लोग रहते हैं। यह वही जगह है जिसे खुद स्व. राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में आकर देखा था। ज्यादा नहीं करीब चार साल पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री एवं तत्कालीन राज्यसभा सांसद श्रीमती मोहसिना किदवई ने कुल्हाड़ीघाट को गोद लिया था। हर तऱफ चुनाव का शोर था इसी बीच बाहर का दलाल आया और कुल्हाड़ीघाट समेत आसपास के लोगों को आंध्रप्रदेश के ईंट भट्ठा में काम करवाने ले गया। जाने वालों की संख्या सैकड़ों में है। कमार जनजाति के लोगों को जंगलों के भीतर का ही जीवन रास आता है। बहुत जरूरी हुआ तो ही ये मैनपुर के बाजार तक आते हैं। दलाल कुल्ड़ीहाघाट एवं आसपास के गांवों गंवरमुड़, भालुडिग्गी, देवडोंगर, मटाल, कठवा, बेसराझर, चारडीह तक पहुंचा कैसे यह बड़ा सवाल है। बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक ओंकार शाह कहते हैं- कमार ग्रामों से सैकड़ों की संख्या में बाहर चले जाने से स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों में तालाबंदी की स्थिति निर्मित हो गई है। इस सब के बाद भी प्रशासन सुध नहीं ले रहा। दूसरी तरफ गरियाबंद के कलेक्टर श्याम धावड़े का कहना है जिले के किसी भी हिस्से में रोजगारोन्मुखी कार्यों की कमी नहीं। पलायन कैसे हुआ पता लगवाएंगे।

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