छत्तीसगढ़

बढ़ रहे हाथी पांव के मरीज, फार्मेलिटी के लिए साल में सिर्फ फाइलेरिया दिवस पर ही लगती है जांच शिविर

मरीजो की नहीं हो रही जांच, जबकि घर-घर जाकर ब्लड सेंपल लेकर बनाना है स्लाइड

बिलासपुर। मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया ही नहीं, लिंफेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) भी फैलाता है। मच्छर के काटने पर मनुष्य के ब्लड में पतले धागे जैसे कीटाणु तैरने लगते हैं और परजीवी की तरह वर्षों तक पलते रहते हैं। जिले में हाथी पांव यानी फाइलेरिया की बीमारी गंभीर रूप लेती जा रही है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर गंभीर नहीं है। स्वास्थ्य विभाग को समय-समय पर स्वास्थ्य एवं जागरुकता शिविर लगाना चाहिए, पर वास्तविकता यह है कि यह शिविर साल में महज एक बार ही लगाई जा रही है, वो भी फाइलेरिया दिवस पर। ऐसे में इस बीमारी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। लिहाजा मरीजों की संख्या लगतार बढ़ रही है। बेकाबू हो चुके फाइलेरिया रोग के प्रति लाखों खर्च करने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है। वर्तमान में जिले के सभी 7 ब्लाकों में 1०53 हाथी पांव के मरीज हैं। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो यह संख्या पिछले साल कम थी। पिछले साल मरीजों की संख्या 1०35 थी। इस हिसाब से यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। शासन इस गंभीर बीमारी पर अंकुश लगाने बढ़चढ़ कर योजनाएं
चलाने का ढिढोंरा पीटती है, लेकिन जमीनी प्रयास न के बराबर होने के कारण हाथी पांव का रोग लगातार बढ़ रहा है।

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