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उद्धव ठाकरे के साले पर ईडी की कार्रवाई : क्या अब ये आर-पार की लड़ाई है?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साले श्रीधर माधव पाटणकर की संपत्ति पर प्रवर्तन निदेशालय के कार्रवाई करने के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है.

इस मुद्दे को लेकर अब बीजेपी मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की मांग कर रही है. ऐसे वक्त सत्ताधारी महाविकास अघाड़ी के नेताओं की तरफ आर-पार की लड़ाई की भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है.

मंगलवार को श्रीधर पाटणकर के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई के बाद महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में दो सवालों पर चर्चा छिड़ गई है- पहला ये कि, पाटणकर पर हुई कार्रवाई को लेकर शिवसेना की क्या प्रतिक्रिया होगी और, दूसरा ये कि क्या इसका असर प्रदेश की सत्ताधारी महाविकास अघाड़ी पर पड़ सकता है.

इन प्रश्नों के उत्तर तलाशने के लिए बीबीसी मराठी सेवा ने बीते दो दशक से अधिक वक्त से महाराष्ट्र की राजनीति पर नज़र रखने वाले जानकारों और विश्लेषकों से बात की.

शिव सेना की भूमिका को लेकर मृणालिनी नानीवड़ेकर ने बताया कि पार्टी के नेता ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनमें एकता है.

वो कहती हैं, “वो दिखा रहे हैं कि शिव सेना और ठाकरे परिवार एक ही हैं. लेकिन मंगलवार को हुई कार्रवाई के बाद शिव सेना क्या करती है ये देखने के लिए हमें इंतज़ार करना होगा.”

हालांकि वरिष्ठ पत्रकार संदीप प्रधान के अनुसार “श्रीधर पाटणकर पर पीएमएलए के तहत कार्रवाई हुई है और इसमें ज़मानत नहीं मिलती. इस मामले में शिव सेना के पास अब पाटणकर को निर्दोष साबित करने के इलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.”

वो कहते हैं, “अब शिव सेना की प्रतिक्रिया पलट कर विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई करने की हो सकती है. जैसे कि प्रवीण दरेकर पर चल रहे बैंक घोटाले के मामले में कुछ कर सकती है.”

एमएलसी बनने के बाद भी दरेकर मज़दूर की पहचान के साथ लेबर सोसायटी के सदस्य बने रहे और 2017 से 2021 तक लेबर कोटा के तहत मुंबई डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे थे.

हालांकि वरिष्ठ पत्रकार हेमंत देसाई का कहना है कि शिव सेना या महाविकास अघाड़ी प्रदेश में बीजेपी पर हमला करने की कोई रणनीति भी बना सकती है. वो कहते हैं, “चाहे दरेकर के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो या फिर फ़ोन टैपिंग का मामला हो, इस तरह की कार्रवाई उनके जवाबी हमले का हिस्सा हो सकती है.”

“हालांकि अब तक शिव सेना किसी रणनीति पर काम करती दिखाई नहीं दे रही है. लेकिन महाविकास अघाड़ी इसकी क्या प्रतिक्रिया देगी, और फिर शिव सेना क्या प्रतिक्रिया देगी, इसे लेकर अब तक स्पष्ट कुछ नहीं दिख रहा है. बड़ा सवाल ये भी है कि क्या श्रीधर पाटणकर के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई का सत्ताधारी गठबंधन पर कोई असर पड़ सकता है.”

प्रदेश की राजनीति पर असर?
ये सवाल पैदा होने का कारण ये है कि श्रीधर पाटणकर मुख्यमंत्री के क़रीबी रिश्तेदार हैं. इस वजह से बीजेपी विधायक नितेश राणे ने उनसे नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की मांग की है.

संदीप प्रधान कहते हैं, “श्रीधर पाटणकर सक्रीय राजनीति में नहीं हैं. वो मुख्यमंत्री की पत्नी रश्मि ठाकरे के भाई हैं, और राजनीति में नहीं हैं. जिस तरह से मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों के साथ कार्रवाई की जा रही है, हो सकता है कि उसे देखकर सभी पार्टियां एक हो जाएं.”

इस मामले में हेमंत देसाई संदीप प्रधान से सहमत दिखते हैं. वो कहते हैं कि इस मुददे को लेकर महाविकास अघाड़ी आर-पार की भूमिका में आ सकती है और एकजुट हो सकती है.

वो कहते हैं, “मंगलवार को हुई कार्रवाई के बाद शिव सेना की तरफ से संजय राउत की कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली है. ऐसे मामलों में शांत रहने वाले जितेंद्र आव्हाड ने भी प्रतिक्रिया दी है. इसके अलावा एनसीपी के शरत प्रधान भी चुप नहीं रहे हैं. महाविकास अघाड़ी शायद ये सोच रही है कि अब कुछ न किया तो मुश्किलें बढ़ती जाएंगी. गठबंधन के लिए फिलहाल करो या मरो की स्थिति है.”

हेमंत देसाई का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई गठबंधन को कमज़ोर करेगी और सरकार के घटक दलों को अलग-अलग खिलाड़ियों को क़रीब लाएगी.

वो कहते हैं, “अजित पवार के रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ कुछ वैसी ही कार्रवाई की गई थी जो अब उद्धव ठाकरे के रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ हो रही है.”

वहीं मृणालिनी नानीवड़ेकर का कहना है कि आने वाले वक्त में केंद्र और राज्य सरकार के बीच संघर्ष और भी तीव्र हो सकता है.

वो कहती हैं, “महाविकास अघाड़ी गठबंधन के नेता कि इसका जवाब एक होकर देने के मूड में हैं. फिलहाल केंद्र सरकार सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के बयानों को लेकर बेहद गंभीर दिख रही है और विरोधियों के ख़िलाफ़ तेज़ी से कार्रवाई कर रही है. उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री से इसके संकेत भी दिए थे, लेकिन सरकार की कार्रवाई से असल में भ्रष्टाचार ख़त्म हो रहा है या फिर राजनीति तेज़ हो रही है, ये आने वाले वक्त में दिखेगा.”

वो कहती हैं कि इतना स्पष्ट है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच संघर्ष तीव्र होगा.

विश्लेषण: आशीष दीक्षित, संपादक, बीबीसी मराठी
श्रीधर पाटणकर के ख़िलाफ कार्रवाई मामूली बात नहीं है. केंद्र में बीजेपी और प्रवर्तन निदेशालय इसके राजनीतिक परिणामों से वाकिफ़ ज़रूर होंगे.

हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि प्रवर्तन निदेशालय का इस्तेमाल क्या प्रदेश सरकार पर राजनीतिक दवाब बनाने के लिए किया जा रहा है. क्योंकि जब से महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार आई है तब से केंद्रीय जांच एजेंसी प्रदेश में चुनिंदा लोगों को निशाना बना रही है. प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और आयकर विभाग मुख्यरूप से शिव सेना और एनसीपी नेताओं या उनके सहयोगियों ओर रिश्तेदारों को निशाना बना रहे हैं.

लेकिन दोनों पक्षों की तरफ से लगातार कार्रवाई केंद्रीय जांच एजेंसी की स्वायत्तता पर संदेह पैदा करती है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था, दूसरी तरफ मुंबई महानगरपालिका और राज्य सरकार के नियंत्रण में रहने वाला पुलिस प्रशासन बीजेपी नेताओं पर कार्रवाई करती दिख रही है. ऐसा लग रहा है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच मुक़ाबला चल रहा है.

अब तक राज्य सरकार ने अनिल देशमुख, नवाब मलिक और अन्य नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है. अब तक बीजेपी ने ठाकरे और पवार परिवार पर आरोप तो लगाए हैं, लेकिन ठाकरे परिवार के ख़िलाफ़ सीधे तौर पर कार्रवाई नहीं की गई थी.

कई दिनों से बीमार चल रहे उद्धव ठाकरे ने इसी सप्ताह आक्रामक शब्दों का इस्तेमाल किया था. हालांकि श्रीधर पाटणकर के ख़िलाफ़ कार्रवाई किए जाने के बाद उन्होंने सदन में चुप रहना अधिक पसंद किया.

लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं महाराष्ट्र का सियासी पारा अभी और भी चढ़ने वाले है.

क्या है पूरा मामला?
प्रदेश के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साले श्रीधर माधव पाटणकर की कंपनी पुष्पक ग्रुप के ख़िलाफ़ पीएमएलए क़ानून के तहत 6 मार्च 2017 को प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई की.

निदेशालय ने श्रीधर के ख़िलाफ़ कार्रवाई को लेकर एक बयान जारी कर कहा है कि पुष्पक ग्रुप की क़रीब 6.45 करोड़ संपत्ति जब्त की गई है. इसमें ठाणे जिले के नीलांबरी प्रोजेक्ट के 11 फ्लैट शामिल हैं.

नीलांबरी प्रोजेक्ट श्री साईं बाबा गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड की संपत्ति है और इसके मालिक श्रीधर माधव पाटणकर हैं.

प्रवर्तन निदेशालय ने बताया कि पुष्पक ग्रुप की एक कंपनी पुष्पक बुलियन्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की संपत्ति को कुछ दिनों के लिए ज़ब्त किया गया है. इसी के तहत नीलांबरी प्रोजेक्ट के फ्लैट जब्त किए गए हैं.

छह मार्च 2017 को निदेशालय ने पुष्पक बुलियन्स प्राइवेट लिमिटेड के ख़िलाफ़ पीएमएलए क़ानून 2002 के तहत मामला दर्ज किया था. इसमें महेश पटेल, चंद्रकांत पटेल की कंपनी की 21 करोड़ की अचल संपत्ति को ज़ब्त कर लिया गया था. उसके बाद ये आरोप सामने आया कि महेश पटेल और नंदकिशोर चतुर्वेदी ने पुष्पक ग्रुप के पुष्पक रियलिटी कंपनी के पैसे कहीं और डायवर्ट किए थे.

निदेशालय के अनुसार पुष्पक रियलिटी ने एक ट्रांसफर के लिए अलग-अलग रास्ते अपनाए और 20.02 करोड़ रुपये नंदकिशोर चतुर्वेदी तक पहुंचाए थे.

प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि नंदकिशोर चतुर्वेदी कई फर्जी कंपनियां चलाते हैं. इनकी कई कंपनियों में एक हमसफर डीलर प्राइवेट लिमिटेड है, जिसके ज़रिए पैसों का ट्रांसफर किया गया था.

आरोप है कि हमसफर डीलर प्राइवेट लिमिटेड ने श्री साईं बाबा गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को 30 करोड़ रुपये का कर्ज़ बिना किसी गारंटी के दिया था. यानी महेश पटेल ने नंदकिशोर चतुर्वेदी की कंपनी के ज़रिए श्री साईं बाबा गृह निर्माण में करोड़ों का निवेश किया. (bbc.com)

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