छत्तीसगढ़

बच्चों को घटिया मध्यान्ह भोजन , जांच होगी

रायपुर। सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता को लेकर शुक्रवार को विधानसभा में मामला उठा। जनता कांग्रेस के नेता धर्मजीत सिंह ने जोर देकर कहा कि बच्चों को घटिया भोजन दिया जा रहा है। इसका संचालन करने वाले एनजीओ गड़बड़ी कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने कहा कि मध्यान्ह भोजन का मैन्यू तय है। उन्होंने कहा कि मध्यान्ह भोजन की जांच कराई जाएगी।
प्रश्नकाल में श्री सिंह के सवाल के जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि मध्यान्ह भोजन योजना शासकीय शालाओं और अनुदान प्राप्त शालाओं व मदरसों में संचालित होता है। उन्होंने कहा कि बिलासपुर संभाग में 10555 शासकीय शालाओं और 153 अनुदान प्राप्त स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना संचालित है।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि बच्चों को पोष्टिक भोजन देने का मापदंड तय है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 में एक अरब 14 करोड़, 2017-18 में एक अरब 6 करोड़ और वर्ष 2018-19 में 92 लाख 81 हजार 97 हजार खर्च किए गए हैं। प्राथमिक स्तर पर 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन के अलावा पूर्व माध्यमिक स्तर पर 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन देना तय है।
जनता कांग्रेस के सदस्य धर्मजीत सिंह ने कहा कि कई स्कूलों में चावल, पानी वाला दाल के साथ-साथ बैगन की सब्जी दी जा रही है। मध्यान्ह भोजन संचालित करने वाले एनजीओ बच्चों की थाली से आहार डकार रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि भोजन की गुणवत्ता की जांच कराई जाएगी। एनजीओ और शिक्षा अधिकारियों की मिली भगत की भी जांच होगी। बच्चों को बेहतर मध्यान्ह भोजन मिले, इस दिशा में कदम उठाया जाएगा।

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