खरसिया में ढीली हो रही उमेश पटेल की पकड़
खरसिया।कांग्रेस की वर्चस्व वाली सीट खरसिया में अब विधायक उमेश पटेल की पकड़ ढीली होने लगी है। जिला पंचायत सदस्य और कांग्रेस के लिए समर्पित जिला पंचायत सदस्य उमा राठिया ने सीधे आरोप लगाया है कि उमेश पटेल सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा के कारण वे भाजपा में शामिल हो रही हैं। मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर रायपुर पहुंची उमा ने खरसिया में पत्र वार्ता मे कहा कि आदिवासी अंचल में विकास के लिए उन्होंने भाजपा को चुना है ।नेताओं की उपेक्षा के कारण अब कांग्रेस में नहीं रहना चाहती ।आदिवासी अंचल बरगढ़ खोला की नेता उमा का क्षेत्र में अच्छा जनाधार है।खरसिया ऐसा क्षेत्र है जहां अब तक इस तरह के दल बदल नहीं होते थे। स्वर्गीय नंद कुमार पटेल के रहते कांग्रेस के पंचायत से लेकर जिले के नेताओं तक ने कभी कांग्रेस छोड़ने का मन नहीं बनाया ।इस मामले में उमेश पटेल चूक गए हैं ।ऐसा नहीं है कि उन्हें सियासत में मौका नहीं मिला। पिता और भाई के शहीद होने के बाद हुए चुनाव में जनता ने उन्हें हाथों हाथ लिया था। कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष जैसा बड़ा ओहदा दिया लेकिन वे राज्य तो क्या अपने विधानसभा क्षेत्र में ही पकड़ नहीं बना सके ।अब हालात यह है कि उमेश पटेल को फिर से कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के पास जाना पड़ रहा है। यह सही है कि उनके पिता की शहादत को लोग नहीं भूले हैं लेकिन जहां तक सक्रियता का सवाल है तो वह अपने पिता की मजबूत जमीन का फायदा नहीं उठा पाए। अब उनको मिलने वाली चुनौती आईएएस की सेवा से त्यागपत्र देने वाले ओ पी चौधरी से है। चौधरी को ग्रामीण विकास की अच्छी समझ है और वे सहज और सरल भी है ।उनके भाजपा में प्रवेश के साथ ही विकास के बहुत सारे कामों में तेजी आई है। वहीं वे जनता को यह समझाने में कामयाब दिख रहे हैं कि डेवलपमेंट का कॉन्सेप्ट उनके पास उमेश से अच्छा है ।यदि यही स्थिति रही तो ओबीसी का बड़ा वर्ग चौधरी का साथ दे देगा। ऐसे में कांग्रेस के लिए खरसिया का दुर्ग बचाना मुश्किल हो सकता है। चर्चा है कि चुनाव तक अंचल के अनेक कांग्रेस नेता भाजपा का दामन थाम लेंगे ।क्योंकि उनका उमेश के साथ अनुभव अच्छा नहीं है।