छत्तीसगढ़

KK Srivastava Arrested: ‘सत्ता के तांत्रिक’ की गिरफ्तारी, पूर्व सीएम के करीबी के पास कहां से आए 15 करोड़?

छत्तीसगढ़ की राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले बिलासपुर निवासी केके श्रीवास्तव को आर्थिक...

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले बिलासपुर निवासी केके श्रीवास्तव को आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की टीम ने भोपाल से गिरफ्तार कर लिया है। वह राजधानी रायपुर में स्मार्ट सिटी परियोजना के नाम पर दिल्ली की एक कंपनी से 15 करोड़ रुपए की ठगी के मामले में फरार चल रहा था।

EOW की टीम ने केके श्रीवास्तव को भोपाल के एमरॉल्ड होटल से हिरासत में लिया है। टीम उसे रविवार देर रात या सोमवार को रायपुर लेकर पहुंची। गिरफ्तारी के बाद अब पूछताछ की जा रही है, जबकि उसका बेटा कंचन श्रीवास्तव अब भी फरार बताया जा रहा है।

कैसे की गई 15 करोड़ की ठगी?

केके श्रीवास्तव पर आरोप है कि उसने दिल्ली की रावत एसोसिएट्स कंपनी को रायपुर में 500 करोड़ रुपए के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में काम दिलाने का झांसा दिया। इस दौरान श्रीवास्तव ने कंपनी के संचालक अर्जुन रावत को एक प्रभावशाली नेता से मुलाकात भी कराई, जिससे रावत को लगा कि उसका प्रोजेक्ट पक्का हो जाएगा।

लेकिन इसी झांसे के बदले श्रीवास्तव ने “संबंधितों को पहुंचाने” के नाम पर अर्जुन रावत से 15 करोड़ रुपए ले लिए। जब काम नहीं मिला और रावत ने पैसे मांगे, तो उसे चेक दिया गया जो बाउंस हो गया। इसके बाद जब लगातार पैसे लौटाने का दबाव बना, तो श्रीवास्तव ने रावत को धमकाना शुरू कर दिया।

मामला दर्ज, आरोपी फरार

रावत एसोसिएट्स के संचालक ने रायपुर के तेलीबांधा थाने में केके श्रीवास्तव और उसके बेटे कंचन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत के बाद दोनों फरार हो गए।

केके ने जिला कोर्ट और फिर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। पुलिस ने जांच में पाया कि जिन खातों में रावत से पैसे ट्रांसफर कराए गए थे, वे जोमैटो और स्विगी जैसे प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले युवकों के नाम से खोले गए थे।

भगोड़ा घोषित और ईडी जांच शुरू

तत्कालीन एसएसपी संतोष सिंह ने केके श्रीवास्तव को भगोड़ा घोषित करते हुए उस पर इनाम भी घोषित कर दिया था। साथ ही ईओडब्ल्यू और ईडी को पत्र भेजकर जांच की मांग की थी।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी श्रीवास्तव पर 50 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में मामला दर्ज किया है, जिसकी जांच अब तक जारी है।

तंत्र साधना और राजनीतिक संबंध

केके श्रीवास्तव सिर्फ कारोबारी नहीं था, बल्कि वह तंत्र साधना और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी जाना जाता था। इन्हीं माध्यमों से उसने प्रदेश के बड़े नेताओं से संपर्क बढ़ाया और तत्कालीन मुख्यमंत्री तक अपनी पहुंच बना ली। इसी रसूख का फायदा उठाते हुए उसने दिल्ली की कंपनी को झांसे में लिया और करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया।

अगला कदम

EOW की टीम अब केके श्रीवास्तव से पूछताछ कर रही है। साथ ही उसके बेटे की तलाश भी जारी है। पुलिस को उम्मीद है कि पूछताछ के दौरान और कई बड़े खुलासे हो सकते हैं, क्योंकि इस मामले में कई राजनीतिक और कारोबारी नाम सामने आ सकते हैं।

यह मामला न सिर्फ एक आर्थिक अपराध का है, बल्कि यह बताता है कि राजनीतिक रसूख और अंधविश्वास के सहारे कैसे आम लोगों और कारोबारियों को निशाना बनाया जा रहा है। अब पुलिस और प्रवर्तन एजेंसियों पर नजर है कि वे इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश कैसे करती हैं।

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