छत्तीसगढ़ की सबसे ज्यादा हाई प्रोफाइल सीट रायपुर दक्षिण से कांग्रेस प्रत्याशी कौन होगा आज या कल में तय हो जाना है, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि दिल्ली के कांग्रेस टिकट चयनकर्ताओं तक को इस सीट ने उलझाकर रख दिया। पहले पत्रकारिता से कांग्रेस में आए रुचिर गर्ग का नाम दक्षिण सीट से खूब उछला, फिर एक और नाम रायपुर महापौर प्रमोद दुबे का तेजी से उभरकर ऊपर की ओर गया। हाल ही में एक और नाम दूधाधारी मठ के प्रमुख महंत रामसुंदर दास का नाम हवा में रहा। यहां ये बताना वाजिब होगा छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बाद बृजमोहन अग्रवाल ही एक ऐसा नाम रहा है जिनके वजन से दिल्ली के दिग्गज कांग्रेसी अच्छी तरह वाकिफ रहे हैं। चूंकि इस बार छत्तीसगढ़ की अधिकांश सीटों पर कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी का सीधा हस्तक्षेप रहा, ऐसे में रायपुर दक्षिण जैसी हाई प्रोफाइल सीट भला विचार मंथन से कैसे छूटे रहती जहां से बृजमोहन अग्रवाल जैसे कद्दावर नेता चुनाव लड़ने जा रहे। रायपुर दक्षिण सीट के अस्तित्व में आने के बाद बृजमोहन लगातार दो चुनाव यहां से जीते। इससे पहले चार चुनाव रायपुर शहर सीट से जीते थे। इस तरह लगातार छह बार अजेय रहने वाले बृजमोहन का यह सातवां चुनाव है। राजकमल सिंघानिया व किरणमयी नायक जैसे नेताओं को छोड़ दें तो बृजमोहन के खिलाफ लड़ चुके योगेश तिवारी आज कांग्रेस का हिस्सा नहीं हैं। और भी पहले स्वरूपचंद जैन, पारस चोपड़ा एवं गजराज पगारिया जिन्होंने कांग्रेस की टिकट पर कभी चुनावी मैदान में बृजमोहन से दो दो हाथ किया था आज राजनीति में गुम से हो गए हैं। महापौर प्रमोद दुबे जिन्हें सिर्फ दक्षिण टिकट के नाम पर दो बार दिल्ली बुलवाया गया अच्छी तरह जान रहे हैं रायपुर दक्षिण से उतरने का क्या मतलब होता है। छत्तीसगढ़ के कुछ नेताओं ने दिल्ली में वजन देकर अपनी बात को कुछ इस तरह रखा था कि प्रमोद महापौर चुनाव लड़े थे तो उन्हें सबसे ज्यादा लीड रायपुर दक्षिण सीट से मिली थी। दक्षिण सीट के लिए उन्हीं के नाम पर विचार किया जाए। वहीं प्रमोद ने हाल ही में हुई अपनी दोनों दिल्ली यात्रा में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमेन भुनेश्वर कालिता के समक्ष अपनी बात रखते हुए यही कहा कि दक्षिण सीट से लड़ने कम से कम छह माह की तैयारी चाहिए। रायपुर उत्तर सीट से लड़ने का मौका मिले तो उसकी तैयारी वे कर सकते हैं। रायपुर दक्षिण से कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद दुबे होंगे या रुचिर गर्ग या फिर कोई और इसका जवाब आज-कल में मिल जाना है पर यह भी उतना ही कटू सत्य है चुनाव को बीस दिन बचे हैं और दिवाली त्यौहार के कारण तीन से चार दिन चुनाव प्रचार बहुत ज्यादा प्रभावित रहेगा। शेष बचे हुए समय में दक्षिण सीट की हर गली मोहल्ले को नाप पाना कांग्रेस प्रत्याशी के लिए बेहद कठिन होगा।