रायपुर। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा बस्तर की घटनाओं को ज्यादा प्रचारित करने की जरूरत नहीं कहना, भाजपा के ही एक प्रवक्ता द्वारा बस्तर में एक पत्रकार सहित तीन जवानों की शहादत को छोटी-मोटी घटना का दर्जा दिया जाना, इन सबके बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा किया जाना इस बात का प्रमाण है कि समूची भारतीय जनता पार्टी नक्सल समस्या को लेकर पूरी तरह दिग्भ्रमित है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 15 वर्ष सरकार चलाने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार ने इस समस्या से निपटने की कोई ठोस नीति नहीं बनाई। न ही इस सरकार के पास इस समस्या से निपटने की राजनैतिक इच्छाशक्ति रही। यही कारण है कि मुख्यमंत्री को अपनी विदाई की बेला में नक्सल समस्या और नक्सल क्षेत्रों की कानून व्यवस्था की अनमने ढंग से या दिखावे के लिये समीक्षा करने की नौबत आई। दुर्भाग्यजनक है कि राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री अपनी सरकार की विफलता को छुपाने के लिये नक्सली हिंसा को प्रचारित होने से दबाना चाहते हैं। आम नागरिक और पत्रकार तथा सुरक्षा बलों के जवान बस्तर के जंगलों में शहीद हो जायें, उनके शहादत की घटनायें खबर भी न बने ताकि भाजपा सरकार की नाकामी जनसमुदाय तक न पहुंच पाये ये कैसा आचरण व्यवहार है। सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि दुर्भाग्यजनक है कि तीन शहादत भी भारतीय जनता पार्टी की नजर में छुट-पुट सामान्य घटना है। झीरम जैसे दुर्दांत नरसंहार और 50 से 100 जवानों की शहादत पर नक्सलियों की कायराना करतूत बता कर चूक अब आगे बर्दाश्त नहीं होगा कहते रहने वाली सरकार के मुखिया के दल से इससे अधिक उम्मीद भी नहीं की जा सकती। रमन सरकार अपने 15 वर्ष के शासनकाल में सभी मोर्चों पर विफल साबित हुई। 15 साल में भाजपा सरकार ने अपनी अर्कमण्यता के कारण नक्सल समस्या पर कोई सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक नीति नहीं बनाई। जिसके फलस्वरूप यह समस्या दो ब्लाकों से निकल कर राज्य के 14 जिलों तक पहुंच गई। भाजपा सरकार नक्सल उन्मूलन के नाम पर भारी भरकम बजट के भ्रष्टाचार में भी लिप्त रही। बढ़ती नक्सल घटनायें भाजपा सरकार के माथे पर बड़ा कलंक है।