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LOK SABHA | बृजमोहन अग्रवाल ने उठाए छत्तीसगढ़ के वन-पर्यावरण सवाल, केंद्र बोला – 18 करोड़ पौधे, 90% सर्वाइवल

 

नई दिल्ली/रायपुर। लोकसभा के मानसून सत्र के पहले दिन रायपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद व वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के वन, पर्यावरण और विकास परियोजनाओं से जुड़े कई तीखे सवाल आतरांकित प्रश्न के माध्यम से उठाए। उन्होंने राज्य में बड़े पैमाने पर किए गए पौधरोपण के वास्तविक परिणाम, खनन परियोजनाओं से वनाच्छादन पर प्रभाव, ग्राम सभा की सहमति, लंबित पर्यावरणीय स्वीकृतियाँ, अप्रयुक्त भूमि पर वृक्षारोपण योजनाएँ और उनकी निगरानी प्रणालियों पर सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा।

केंद्र सरकार का जवाब

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने सदन में बताया:

2010-11 से 2019-20 के बीच छत्तीसगढ़ में ~18 करोड़ पौधे लगाए गए।

अधिकांश क्षेत्रों में पौधों की उत्तरजीविता दर लगभग 90% दर्ज की गई।

भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) के अनुसार 2013–2023 के बीच राज्य के वन क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं, बल्कि अति सघन वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज हुई।

खनन परियोजनाओं हेतु सभी स्वीकृतियाँ वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 और वन अधिकार अधिनियम 2006 के नियमों के तहत, ग्राम सभाओं की विधिक सहमति के साथ दी जाती हैं।

राज्य से जुड़ी कोई विकास परियोजना 105 दिन की सीमा से अधिक समय तक पर्यावरणीय मंजूरी के लिए लंबित नहीं है।

वृक्षारोपण स्वीकृत योजनाओं व राजस्व विभाग द्वारा उपलब्ध भूमि पर किया जाता है; निगरानी ई-ग्रीन वॉच पोर्टल, GIS मैपिंग, जियो-टैगिंग और तृतीय पक्ष सत्यापन से हो रही है।

सांसद की प्रतिक्रिया

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरणीय संतुलन छत्तीसगढ़ की प्राथमिक आवश्यकता है। “वृक्षारोपण सिर्फ आंकड़ों का खेल न रहे—जमीनी सत्यापन ज़रूरी है।” उन्होंने चेताया कि खनन गतिविधियों से आदिवासी क्षेत्रों का वन और जनजीवन प्रभावित न हो, इसके लिए सख्त निगरानी आवश्यक है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे राज्य से जुड़े वन, पर्यावरण और जनहित के मुद्दों को आगे भी संसद में मजबूती से उठाते रहेंगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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