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लता मंगेशकर के लिए शाहरुख़ की दुआ की फूँक को थूक कहने पर छिड़ी बहस

लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार के मौक़े पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुँचे अभिनेता शाहरुख़ ख़ान ने जिस तरह से वहाँ दुआ की, इसे लेकर सोशल मीडिया पर बीजेपी के एक पदाधिकारी ने सवाल उठाया जिसकी काफ़ी आलोचना हो रही है.

रविवार शाम को मुंबई के शिवाजी पार्क में लता मंगेशकर की अंत्येष्टि से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई शख़्सियतों ने पार्थिव शरीर के पास जाकर प्रार्थना की थी.

शाहरुख़ वहाँ अपनी सेक्रेटरी पूजा ददलानी के साथ पहुँचे थे. एक ओर जहाँ शाहरुख़ के हाथ दुआ के लिए उठे हुए थे, वहां पूजा ददलानी हाथ जोड़कर लता जी को श्रद्धांजलि दे रही थीं.

शाहरुख़ ख़ान ने दुआ के अंत में नीचे झुककर मास्क हटाकर पार्थिव शरीर की ओर फूँका. इसी को लेकर की गई एक टिप्पणी ने ट्विटर पर बहस छेड़ दी.

बीजेपी हरियाणा के आईटी सेल के प्रभारी अरुण यादव के ट्वीट ने इस विवाद को और हवा दी. उन्होंने श्रद्धांजलि देते शाहरुख़ ख़ान का वीडियो शेयर करते हुए लिख दिया- “क्या इसने थूका है?”

उनकी फूँक को थूक का नाम देकर लोग शाहरुख़ को ट्रोल करने लगे. हालाँकि एक दूसरा तबका उनकी और पूजा ददलानी की तस्वीर को भारत की असली तस्वीर कहकर तारीफ़ भी कर रहा है.

इस विवाद में कई जाने-माने चेहरे भी कूद पड़े और शाहरुख़ की आलोचना को आड़े हाथों लिया.

शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया- “कुछ लोग ना दुआ के क़ाबिल हैं, ना दया के उनको सिर्फ़ दवा की ज़रूरत है, मन के ज़हर को ख़त्म करने के लिए.”

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र ने भी शाहरुख़ के पक्ष में ट्वीट करते हुए उन पर सवाल उठाने वाले लोगों को घेरा है.

सुप्रिया ने लिखा है- “आप ना केवल बंद दिमाग़ के शख़्स बल्कि बहुत दुष्ट व्यक्ति हैं जो एक दिवंगत आत्मा के लिए दुआ को भी नफ़रत फैलाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. सबलोग सोचें, क्या हम दुष्टता को जीतने दे सकते हैं.”

सुप्रिया ने शाहरुख़ की दुआ पढ़ती तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा है – “मेरा देश.”

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाई शरत चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने शाहरुख़ ख़ान के दुआ माँगने पर टिप्पणी की है.

2016 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ चुके चंद्र कुमार बोस ने लिखा है – “लता मंगेशकर की अंत्येष्टि में दुआ माँगते शाहरुख़ ख़ान. यह भारत की असल संस्कृति और विरासत है. कुछ धार्मिक मदांध इसे हज़म नहीं कर सकते.”

वहीं जाने-माने समाचार पोर्टल वायर के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन ने लिखा है- “ये घिनौना ट्वीट बीजेपी के एक अधिकारी का है. इसमें अब कोई शक़ नहीं है कि समाज में कौन-कौन से लोग गंदगी और ज़हर फैला रहे हैं. अगर अरुण यादव दुआ से अनभिज्ञ हैं, तो दावा करने से पहले हमेशा किसी से पूछ सकते थे.”

वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने इस बारे में कहा है कि ट्विटर को ऐसे पोस्ट पर कार्रवाई करनी चाहिए.

उन्होंने लिखा है- “हैरानी है कि @Twitter वाले जानते-बूझते छिड़े ऐसे ज़हरीले प्रचार अभियानों के सामने आँखें क्यों मूँद लेते हैं? क्या इसलिए कि ऐसे थूक-चाट के ट्वीट चर्चित होते हैं, विवाद को हवा देते हैं? यह तो चैनल चलाने के लिए गाली-गलौच वालों को जमा करने जैसा हो गया।”

इतिहासकार राणा सफ़वी ने लिखा है- “ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान .”

इतिहासकार एस इरफ़ान हबीब ने शाहरुख़ की दुआ वाली नीचे दी गई एक यूज़र की तस्वीर को रीट्वीट किया है जिसमें लिखा है – “ये कितनी ख़ूबसूरत तस्वीर है.”

फ़िल्मकार अशोक पंडित ने भी शाहरुख़ की आलोचना करने वालों का आड़े हाथों लिया है.

अशोक पंडित लिखते हैं – “चंद लोग जो शाहरुख़ ख़ान पर लता मंगेशकर जी की अंत्येष्टि के दौरान थूकने का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए. उन्होंने दुआ की और उनके पार्थिव शरीर की रक्षा और उनके अगले सफ़र के लिए दुआएँ देने के लिए फूँका. हमारे देश में ऐसे सांप्रदायिक कचरे के लिए कोई जगह नहीं.”

रेडियो जॉकी सायमा ने लिखा है- दुआ की ‘फूँक’ को थूक कहने वालों की सोच थूकने लायक़ ही हैं. ज़हर और नफ़रत की खेती करते हैं ये.

व्यवसायी और मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व उपकुलपति ज़फ़र सरेशवाला ने लिखा है- “कुछ धर्मांध लोग भारत की एकता के इस ख़बसूरत नज़ारे को पचा नहीं पा रहे हैं. सच में लता मंगेशकर जी वो इंसान थीं जिन्होंने लोगों को जीते-जी भी एकता के सूत्र में बाँधा और मरने के बाद भी ऐसा करना जारी रखा. शाहरुख़ ख़ान भी इसी कड़ी में एक हैं.”

ज़फ़र सरेशवाला ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है- “ये थूकना नहीं है, फूँकना है. इसे कहते हैं दुआ को फूँकना.”

ओडिशा के वरिष्ठ आईपीएस पुलिस अधिकारी अरुण बोथरा ने इस बारे में एक ट्वीट कर लिखा है – “इस्लाम में दुआ पढ़ने के बाद फूंक मारने का रिवाज है. बच्चों को हारी-बीमारी में झाड़-फूँक कराई जाती है, ये अमूमन सबको पता है. शाहरुख ख़ान ने दुआ पढ़ी और फूँक कर रस्म पूरी की. इतने ग़मगीन मौके पर बेहूदा सवाल उठाने वालों को सच का तो पता है पर आदत से मजबूरी भी कोई चीज होती है.”

मुसलमानों में यह एक आम रिवाज है. किसी की मौत पर या किसी और मौक़े पर भी फूँक कर दुआ पढ़ी जाती है.

यह दुआ मुसलमानों के पवित्र धार्मिक ग्रंथ क़ुरान शरीफ़ की आयतें होती हैं.

किसी की मौत पर पढ़ी जाने वाली दुआ में दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए दुआ माँगी जाती है.

इसके अलावा किसी की लम्बी आयु, जीवन में सफलता या अन्य बातों के लिए के लिए भी दुआ पढ़ी जाती है.

दुआ पढ़ने के बाद पढ़ने वाला जिस किसी के लिए दुआ करता है अगर वो पास में होता है तो उसको सामने जाकर फूँकता है.

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