रायपुर। कहने को तो भाजपा के 15 विधायक ही जीतकर आए हैं लेकिन नेता प्रतिपक्ष के लिए इक्का-दुक्का नहीं बल्कि चार वजनदार नाम सामने हैं। डॉ. रमन सिंह समेत बृजमोहन अग्रवाल, ननकीराम कंवर एवं अजय चंद्राकर के नाम लगातार चर्चा में है।
ननकीराम कंवर इस समय दिल्ली में हैं और आदिवासी फैक्टर को सामने रखते हुए राष्ट्रीय नेताओं के सामने खुलकर अपना दावा रख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद पहले नेता प्रतिपक्ष नंद कुमार साय आदिवासी वर्ग से बने थे।
तत्कालीन कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने अजीत जोगी को आदिवासी मानते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपी थी उसी आधार पर भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष एक आदिवासी नेता को बनाया था।
चूंकि इस बार पिछड़ा वर्ग के नेता भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने हैं अतः पिछड़ा वर्ग के ही वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय चंद्राकर का नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए दिल्ली के नेताओं के जेहन में है।
हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमालाल कौशिक जो इस बार चुनाव जीतकर आए पिछड़ा वर्ग से ही हैं, लेकिन राष्ट्रीय नेता लोकसभा चुनाव को सामने देख उन्हें पुराने पद पर ही देखना चाह रहे हैं।
सामान्य वर्ग से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और बृजमोहन अग्रवाल का नाम है। पार्टी के भीतर की गहरी जानकारी रखने वाले कुछ लोगों का मानना है लोकसभा चुनाव को नजदीक देख डॉ. रमन सिंह को राष्ट्रीय नेता अभी छिपे हुए पत्ते के रूप में रखना चाह रहे हैं।
उनके नेता प्रतिपक्ष बनने की संभावना कम ही है, लेकिन बृजमोहन अग्रवाल के नाम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भाजपा के अभी जो पंद्रह विधायक चुनकर आए वरिष्ठता क्रम में दो नाम डॉ. रमन सिंह एवं बृजमोहन अग्रवाल सबसे ऊपर हैं।
जब छत्तीसगढ़ राज्य बना बृजमोहन अग्रवाल नेता प्रतिपक्ष पद के प्रबल दावेदार थे, स्वाभाविक है अब भी रहेंगे। इसके अलावा अग्रवाल पूर्व में संसदीय कार्य मंत्री रह चुके हैं। किसी भी नेता प्रतिपक्ष को संसदीय ज्ञान में खरा उतरना जरूरी होता है। इस लिहाज से बृजमोहन अग्रवाल का नाम मजबूती से सामने है।