EARTHQUAKE MAP 2025 | BIS ने बदला भारत का भूकंप जोन मैप

नई दिल्ली, 29 नवंबर 2025। भारत अब पहले से ज्यादा भूकंपीय खतरे के दायरे में आ गया है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने गुरुवार को नया भूकंप जोन मैप जारी किया है, जिसे IS 1893 (2025) भूकंप-प्रतिरोधी डिज़ाइन कोड में शामिल किया गया है। पहली बार मैप पुराने नुकसान के रिकॉर्ड पर नहीं, बल्कि उन्नत वैज्ञानिक तकनीक PSHA प्रोबेबिलिस्टिक सीस्मिक हेजर्ड असेसमेंट पर आधारित है।

नए मैप के अनुसार पूरा हिमालय क्षेत्र देश का सबसे खतरनाक जोन-VI घोषित कर दिया गया है। इसके बाद अब भारत का 61% भूभाग मध्यम से उच्च जोखिम वाले जोन में आ गया है।
कैसा है नया भूकंप जोन मैप?
2025 मैप में देश को पाँच जोन — II, III, IV, V और नया जोन VI — में बांटा गया है।
जोन-VI: सबसे खतरनाक क्षेत्र (पूरा हिमालय)
इसमें शामिल प्रमुख शहर/क्षेत्र – लेह, शिमला, चंडीगढ़, दार्जिलिंग, शिलांग, अगरतला, मंडी, भुज और पंचकुला।
यह इलाका भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव पर स्थित है, जहां लंबे समय से भारी भूकंप दबाव जमा है।
अन्य भूकंप जोन:
-
जोन V: कच्छ, पूर्वोत्तर राज्य, अमृतसर, करनाल, जालंधर
-
जोन IV: दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, मुंबई
-
जोन III: मध्य भारत के बड़े हिस्से
-
जोन II: दक्षिण भारत के अपेक्षाकृत सुरक्षित क्षेत्र
नया मैप क्यों जरूरी हुआ?
पुराने मैप प्रशासनिक सीमाओं और पिछले भूकंपों पर आधारित थे। नए मैप में शामिल हैं –
-
सक्रिय फॉल्ट लाइन्स का वैज्ञानिक विश्लेषण
-
चट्टानों और मिट्टी की वास्तविक प्रतिक्रिया
-
50 साल में सबसे बड़े भूकंप की 2.5% संभावना का मॉडल
-
जनसंख्या, शहरीकरण और आर्थिक जोखिम का डेटा
हिमालय के उन “सीस्मिक गैप्स” को भी ध्यान में रखा गया, जहां दशकों से बड़ा भूकंप नहीं आया है, लेकिन खतरा लगातार बढ़ रहा है।
जोन-I क्यों हटाया गया?
जोन-1 को कभी “भूकंप-मुक्त” क्षेत्र माना गया था, लेकिन 1967 के कोयना भूकंप ने यह धारणा गलत साबित कर दी। इसलिए BIS ने इसे 2002 में ही खत्म कर दिया था।
इस बदलाव का देश पर क्या असर पड़ेगा?
-
निर्माण नियम होंगे और कड़े
-
जोन-VI में इमारतों की नींव 50% ज्यादा मजबूत करनी होगी
-
स्टील की मात्रा लगभग दोगुनी
-
पुराने भवनों की रेट्रोफिटिंग अनिवार्य
-
निर्माण लागत 10–20% बढ़ सकती है
-
-
बड़े शहरों को बढ़ी चेतावनी
-
दिल्ली, मुंबई और कोलकाता उच्च जोखिम श्रेणी में हैं। घनी आबादी के कारण छोटे भूकंप भी बड़े नुकसान दे सकते हैं।
-
हिमालयी राज्यों पर सीधा असर
-
उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम और अरुणाचल में अनियंत्रित निर्माण पर रोक और नए निर्माण मानकों से लागत बढ़ेगी। हालांकि इससे लंबी अवधि में सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
-
देश की 75% आबादी भूकंप जोखिम में
-
तेजी से बढ़ते शहर और फॉल्ट लाइनों के सक्रिय रहने से खतरा और बढ़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नया भूकंप जोन मैप भारत में भूकंप सुरक्षा के एक नए दौर की शुरुआत है, जो आने वाले दशकों में जान-माल के बड़े नुकसान को कम कर सकता है।



