जानें लोहड़ी से जुड़े रोचक तथ्य। क्या है तिल और मूंगफली का ‘लोहड़ी कनेक्शन’…
उत्तर भारत में लोहड़ी का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस त्योहार को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जाता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बधाइयां और मिठाई भेजते हैं। इस दिन शाम के समय खुली जगह पर लोहड़ी जलाई जाती है और पवित्र अग्नि में मूंगफली, गजक और तिल डालकर इसकी परिक्रमा की जाती है। लेकिन कम लोगों को पता है कि आखिर इस त्योहार में लोहड़ी की अग्नि में तिल, रेवड़ी, मूंगफली क्यों डालते हैं…
1.इसलिए डालते हैं लोहड़ी में तिल और मूंगफली
पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा एक विशेष त्योहार है। लोहड़ी की अग्नि में रवि की फसल तिल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ व गजक को अर्पित किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस तरह सूर्य देव व अग्नि देव के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। क्योंकि उनकी कृपा से फसल अच्छी होती है।
2.लोहड़ी की यह है धार्मिक मान्यता
पौराणिक कथा के अनुसार, लोहड़ी का संबंध माता सती से है। देवी सती के पिता दक्ष ने जब महायज्ञ का आयोजन किया तब भगवान शिव की आज्ञा के बिना सती उस यज्ञ में पहुंच गईं। प्रजापति ने अपनी पुत्री का स्वागत करने की बजाय देवी सती और उनके पति भगवान शिव का अपमान किया। अपमान से क्रोधित देवी सती ने खुद को हवन कुंड के हवाले कर दिया।
3.लोहड़ी पर नवविवाहित कन्या को मायके से उपहार
देवी सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति को कठोर दंड दिया। दक्ष को जब अपनी भूल का अहसास हुआ तो उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी और जब देवी सती ने पार्वती रूप में अगला जन्म लिया तो उन्होंने देवी पार्वती को उनके ससुराल में लोहड़ी के अवसर पर उपहार भेजकर अपनी भूल सुधारने का प्रयास किया। उस समय से लोहड़ी पर नवविवाहित कन्याओं के लिए मायके से वस्त्र और उपहार भेजा जाता है।
4. एक कथा यह भी
लोहड़ी का पर्व मनाने के पीछे एक कथा यह भी है कि लोहड़ी और होलिका दोनों बहने थीं। लोहड़ी का प्रवृति अच्छी थी और होलिका का व्यवहार अच्छा नहीं था। होलिका अग्नि में जल गई और लोहड़ी बच गई। इसके बाद से पंजाब में उसकी पूजा होने लगी और उसी के नाम पर लोहड़ी का पर्व मनाया जाने लगा।
5. दुल्ला भाटी की भी करते हैं प्रशंसा
लोहड़ी के दिन पंजाबी लोग अलाव जलाकर उसके चारों और नृत्य करते हैं। लड़की जहां भांगड़ा पाते हैं, वहीं लड़कियां और महिलाएं गिद्धा नृत्य करती हैं। लोहड़ी की अग्नि के आसपास लोग इकट्ठे होकर दुल्ला भट्टी की प्रशंसा गायन भी करते हैं, जो पंजाब में लोक पात्र हैं।
6. लोहड़ी का श्रीकृष्ण से नाता
लोहड़ी की एक कथा भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नाम की राक्षसी को नंदगांव भेजा। उस समय लोग मकर संक्रांति मनाने की तैयारी में व्यस्त थे। अवसर का लाभ उठाकर लोहिता ने श्रीकृष्ण को मारना चाहा तो श्रीकृष्ण ने लोहिता का ही वध कर दिया। लोगों ने जब पूरी स्थिति को जाना तो लोहड़ी का त्योहार मनाया। उस समय से यह त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की शाम में हो रहा है इसलिए लोहड़ी मकर संक्रांति से 2 दिन पहले मनाया जा रहा है।
इसलिए मकर संक्रांति से 2 दिन पहले लोहड़ी, पूजन का समय।
*छत्तीसगढ़ टाइम्स की ओर से आप सभी को लोहड़ी की लख लख बधाइयाँ!*