छत्तीसगढ़

अभी भी नहीं हटे स्पीड ब्रेकर, अफसरों को झांकने की फुर्सत नहीं

हाईकोर्ट के आदेश की हो रही अनदेखी

बिलासपुर। न्यायधानी की सड़कों पर बेतरतीब स्पीड ब्रेकर्स की भरमार होने से लगातार दोपहिया सवार हादसे के शिकार हो रहे हैं। वहीं चार पहिया वाहन बेतरतीब ढंग से बने स्पीड ब्रेकर में फंस रहे हैं। इसे लेकर अब तक कोई ठोस प्रयास नहीं हो पाया है। जबकि इसे हटाने हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं, फिर भी नगर निगम व लोक निर्माण विभाग के अफसर अब इस ओर नहीं ध्यान दे रहे।
मुख्य सड़क के साथ शहर की ऐसा कोई सड़क नहीं बची है, जहां स्पीड ब्रेकर न हो। हर सौ मीटर पर स्पीड ब्रेकर होने से वाहन चालकों को ठोकर लग रही है। बावजूद इसके जिला प्रशासन अवैध तरीके से बने स्पीड ब्रेकर को हटाने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने बेतरतीब स्पीड ब्रेकर को चार सप्ताह में हटाने के निर्देश दिए थे। फिर भी इस दिशा में अनदेखी हो रही है। जिससे आए दिन रोड एक्सीडेंट के मामने सामने आ रहे हैं।
० ये है परिमाप
एक आदर्श स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 1० सेंटीमीटर, लंबाई 3.5 मीटर और वृत्ताकार
क्षेत्र यानी कर्वेचर रेडियस 17 मीटर होना चाहिए। साथ ही ड्राइवर को सचेत करने के लिए स्पीड ब्रेकर आने से 4० मीटर पहले एक चेतावनी बोर्ड लगा होना चाहिए। स्पीड ब्रेकर का मकसद है कि गाड़ियों की रफ्तार को 2० से 3० किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचाना, ताकि सड़क हादसों के खतरे कम किया जा सके, पर जो स्पीड ब्रेकर कागज पर हैं, वह सड़क पर शायद ही कहीं दिखाई दें।
० हादसा होने पर तान देते हैं ब्रेकर
स्पीड ब्रेकर के कोई स्पष्ट मानक नहीं है। जिसका जहां जैसे मन आया,सड़क पर एक स्पीड ब्रेकर बना देते है। सड़क बनवाने के लिए जितनी मारामारी करनी होती है, उतनी स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए नहीं करना पड़ता। अक्सर यह देखा जाता है कि सड़क दुर्घटना होने के बाद लोग चक्काजाम कर स्पीड ब्रेकर बनाने की मांग करते हैं। दबाव में आकर पीडब्ल्यूडी या फिर लोग बिना मापदंड के स्पीड ब्रेकर बना लेते हैं, जिसका खामियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ता है।
० रबर वाले ब्रेकर टायर को पहुंचाते हैं नुकसान
सड़कों पर काले-पीले रबड़ के स्टि्रप स्पीड ब्रेकर के रूप में दिखाई देते हैं, ये लगाने में आसान और सस्ते जरूर हैं, लेकिन इन्हें इतना कामयाब नहीं माना जाता। क्योंकि ये बहुत जल्दी घिसने लगते हैं और फिर ये सड़क पर रह जाती हैं और इनकी कीलें, वाहनों के टायरों को चुभती हैं। यानी जो स्पीड ब्रेकर के रूप में रफ्तार रोकने के लिए बने थे, वहीं स्पीड ब्रेकर टायरों को पंक्चर करने के काम आते हैं। अब तो ये ब्रेकर भी गायब हो गए। कलेक्टोरेट के सामने लगाई गई थी। वह अब गायब हो चुके हैं।

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