छत्तीसगढ़

‘आयुष्मान योजना’ के स्थान पर थाईलैंड की हेल्थ स्कीम कॉपी करेगी भूपेश सरकार

रायपुर। आयुष्मान भारत योजना पर छत्तीसगढ़ में महाभारत चार महीने से जारी है। निजी अस्पताल इलाज नहीं कर रहे हैं तो योजना की संचालन एजेंसी (स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत) स्टेट नोडल एजेंसी (एसएनए) नोटिस पर नोटिस देकर दबाव बना रही है।
24 सितंबर को ई-मेल के जरिए प्रदेश के निजी अस्पताल संचालकों को नोटिस दिया गया कि वे अगर काम पर वापस नहीं लौटते हैं तो अनुबंध खत्म कर दिया जाएगा।
अब इन्हीं सब विवादों को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने अपनी टीम के साथ थाईलैंड के लिए उड़ान भर ली है। अब थाईलैंड से यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम का फॉर्मूला निकलेगा। सूत्रों की मानें तो आयुष्मान योजना छत्तीसगढ़ में ज्यादा दिन की मेहमान नहीं है।
थाईलैंड की हेल्थ स्कीम को दुनिया की सबसे अच्छी स्वास्थ्य योजनाओं में माना जाता है। जानकारी के मुताबिक थाईलैंड में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस भी है, जिसमें ये प्रतिनिधिमंडल शामिल होगा। इसके बाद हेल्थ स्कीम समझी जाएगी। सचिव निहारिका बारिक, मुख्यमंत्री के सामने इसका प्रजेंटेशन देंगे। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार के किसी मंत्री का यह पहला विदेश दौरा है।
दोनों सरकार के विरोध में आइएमए- 2009 से प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाइ), इसके बाद मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाइ) संचालित हो रही हैं, लेकिन विवाद लगातार बना रहा। योजना कभी बंद नहीं हुई। मगर आयुष्मान आने के बाद निजी अस्पतालों ने काम ठप कर दिया।
आइएमए का प्रतिनिधिमंडल स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव से मिला, पर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला था। इसके बाद नाराजगी और बढ़ गई। जबकि माना जा रहा था कि आइएमए में अधिकांश डॉक्टर कांग्रेस के समर्थक हैं, इससे विवाद खत्म हो जाएगा। मगर ऐसा हुआ नहीं।
ये हुए रवाना स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, सचिव निहारिका बारिक, स्वास्थ्य आयुक्त आर. प्रसन्ना, स्टेट नोडल एजेंसी (एसएनए) के नोड्ल अधिकारी विजेंद्र कटरे।
आयुष्मान पर विवाद क्यों, जानें- 16 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना को देशभर में लांच किया था, लेकिन इसी दिन से छत्तीसगढ़ आइएमए विरोध में उतर आया था। तब से आज तक विरोध जारी है। इसकी कई वजहें बनी हुई हैं।
सबसे बड़ी वजह प्रदेश के निजी अस्पताल संचालकों द्वारा पूर्व में किए गए उपचार की राशि का बीमा कंपनी द्वारा भुगतान न किया जाना, जो 60 करोड़ रुपये है। दूसरी वजह पुराने क्लेम को बिना किसी ठोस कारण के रिजेक्ट कर देना।
तीसरी वजह है आयुष्मान भारत के सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी। इसे लेकर आइएमए ने पीएम मोदी तक को शिकायत की है और कोर्ट जाने के लिए तमाम दस्तावेजों को जुटाया जा रहा है।

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