शहीद की चिता पर लिया संकल्प,जनसहयोग से मुक्तिधाम को दिया गार्डन का रूप
2014 में शहीद किरण देशमुख की चिता सजी थी जन सैलाब भारत माता की जय की नारे लगा रहे थे इसी बीच अंतिम यात्रा में शामिल युवाओं ने एक संकल्प लिया शाहिद की याद में इस मुक्ति धाम को क्यो न एक नया रूप दिया जाय श्मशान के नाम जो खौफ है वो खत्म किया जाए लोग केवल शोक कार्यक्रम में ही नही सैर सपाटे पर भी यह आ सके ।महज तीन साल के समय मे मयारू संगवारी के युवाओं ने अपना संकल्प पूरा किया । अभी कुछ काम बाकी है ,पर जितना हुआ है उसे देख कर आप तारीफ करने से नही चूकेंगे ।बात रिसाली बस्ती भिलाई के अस्तिव में आने के पहले का गांव है ।साढ़े नौ एकड़ में फैला यह मुक्ति धाम पहले जर्जर था ।कोई व्यवस्था नही थी
इन तीन सालों में रोप 18 सौ पौधे
मयारू संगवारी ने इन तीन सालों में 18 सौ पौधे रोपे है ।आज यहां ठंडक है, छाव है ,हरियाली है आक्सीजोन है ।यहाँ नीम, चंदन,अशोक, नारियल,पलाश,पीपल के पौधे तो है ही साथ मे इलायची, गेंदा,मोंगरा,गुलमोहर,हर तरह के पौधे है ।
मार्गदर्शन में जुट गए युवा
वर्तमान में भिलाई निगम के पीआरओ राजेन्द्र राव ने मयारू संगवारी संगठन का निर्माण किया । राजेन्द्र राव के मार्गदर्शन में काम शुरू हुआ ।पार्षद चुम्मन देशमुख तथा उनकी टीम ने तीन साल के अथक मेहनत से जर्जर मुक्तिधाम को एक नया रूप दिया अब आस पास के लोग यह सैर सपाटे के लिए जाते है
जानिए , क्या है खास बात
1 पास स्थित अपार्टमेंट से निकलने वाले गंदे पानी को चुना, कोयला तथा नारियल बच से फिल्टर कर पौधे में इस्तेमाल के लायक बनाया जाता है ।
2 अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले लोगी को धूप बरसात से बचाने के लिए जनसहयोग से प्रतीक्षालय बनवाया गया है ।
3 बीपीएल परिवार को चिता के लिए केवल 101 रुपये में लकड़ी दी जाती है ।
4 जनसहयोग से कुंड का निर्माण कराया जा रहा है । ताकि कार्यक्रम का सारा आयोजन यह हो सके ।
5 अब तक स्थानीय पार्षद चुम्मन देशमुख की नीति तथा सहयोग से 18 लाख रुपये खर्च किये जा चुके है और भी निर्माण कार्य चल रहा है ।
6 पौधा रोपण के लिए दूसरों को भी प्रेरित किया जाता है ।