छत्तीसगढ़

सिम्स की व्यवस्था चरमराई न डॉक्टर मिल रहे, न दवा

ओपीडी जांच भी नहीं हो रही, मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा

बिलासपुर। मेडिकल कॉलेज सिम्स इन दिनों भारी अव्यवस्थाओं के दौर से गुजर रहा है। यहां के कुछ डॉक्टरों का स्थानांतरण क्या हुआ कि ज्यादातर ओपीडी जांच कही बंद हो गई है। दूसारी ओर मरीजों को अस्पताल में दवाएं तक नहीं मिल रही। इससे मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।
सिम्स में आगजनी के बाद से इलाज व्यवस्था और बिगड़ गई है। प्रमुख डॉक्टरों को तबादला कर दिया गया है, जिससे ओपीडी प्रभावित हुई है। सीनियर डॉक्टर न होने से मरीजों का ओपीडी में सतुचित जांच ही नहीं हो पा रहा है। दूसरी ओर अस्पताल में दवाओं की कमी तो शुरू से बनी हुई है, इस समय और स्थिति बिगड़ गई है। आलम यह है कि सर्दी-खांसी जैसी सामान्य बीमारियों की दवांए तक मरीजों को नसीब नहीं हो रही हैं। उन्हें बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है। सिम्स में वर्ष 2०18-19 के लिए खरीदी गई दवाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं। ऐसे में दो महीने पहले आवश्यक दवाओं का स्टाक मंगाया गया था। यह स्टाक भी खत्म होने की कगार पर है। सर्दी-खांसी का सीरप, बुखार के लिए पैरासिटामोल, बच्चों के सीरप व ड्राप, मल्टी विटामिन, आयरन, कैल्सियम, मेटफार्मिन, गिल्मीप्राइड के साथ ही अन्य जीवन रक्षक दवा खत्म हो गई है। ऐसे में डॉक्टर की लिखी चार दवाओं में से सिर्फ एक ही मिल रही है। बाकी दवाओं के लिए मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर जाना पड़ता है। सिम्स प्रबंधन का कहना है कि वर्ष 2०19-2० की दवा खरीदी करने के लिए शासन की ओर से राशि जारी नहीं की गई है। ऐसे में मार्च के बाद पूरी तरह दवा खत्म हो सकती है। इससे मरीजों को और परेशानी बढ़ सकती है।
० ओपीडी जांच पर असर
हाल ही में सिम्स के 7 डॉक्टरों का तबादला कर दिया गया है, जिसमें प्रध्यापकों सहित स्पेशस्लिस्ट डॉक्टर
शामिल हैं। उनके तबादले से एक ओर जहां मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है तो दूसरी ओर ओपीडी भी प्रभावित हुआ है। ओपीडी में सीनियर डॉक्टर ही नज नहीं आ रहे हैं। जूनियर डॉक्टर हैं, पर उनके द्बारा मरीजों का सही इलाज ही नहीं हो रहा है। मरीज ओपीडी के सामने लंबी कतार लगाते हैं, डॉक्टरों के न पहुंचने पर उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ता है। गौरतलब है कि

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