बिलासपुर। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सिम्स में हुए 7 डॉक्टरों के तबादले में से 2 डॉक्टरों का स्थानांतरण अस्थाई रुप से रोक दिया गया है। इसमें डॉ.लखन सिंह व उनकी पत्नी डॉ. हेमलता शामिल हैं। इधर अन्य डॉक्टरों के ट्रांसफर होने और उनकी जगह नए डॉक्टरों के न आने से इलाज व्यवस्था प्रभावति हो रही है।
आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स में आगजनी की घटना के बाद बड़े पदों पर काबिज डॉक्टरों पर गाज गिरने की आशंका पहले से ही थी। लगातार विरोध के बाद स्वास्थ्य संचालक ने सिम्स के 7 डॉक्टरों का स्थानांतरण कर दिया था। जिसमें से डॉक्टर लखन सिंह और डॉ. हेमलता सिंह ने बच्चों की पढ़ाई का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की बेंच ने वर्तमान में स्कूली परिक्षाओं के मद्देनजर बच्चों की पढ़ाई पर प्रभाव न पड़े, इसके लिए परीक्षाएं पूर्ण होने तक उनका तबादला 4० दिन के लिए रोक दिया गया है। गौरतलब है कि आगजनी की घटना के बाद भले ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टरों का स्थानांतरण किया हो, लेकिन वर्तमान में सिम्स की व्यवस्था लड़खड़ा गई है। डॉ. बीपी सिह के स्थानांतरण के बाद अधीक्षक का प्रभार भी किसी को नहीं मिला है। इधर डीन डॉ. प्रदीप कुमार पात्रा भी इन दिनों छुट्टी पर हैं। लिहाजा सिम्स का प्रबंधन ही पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। इधर स्थानांतरित डॉक्टरों के स्थान पर आने वाले डॉक्टर्स भी अभी तक नहीं पहुंचे हैं, लिहाजा अस्पताल में इलाज व्यवस्था भी गड़बड़ा गई है।
० शिकायत का नहीं हो पा रहा निवारण
ओपीडी में डॉक्टरों के समय पर नहीं बैठने से इलाज कराने आए मरीजों को
परेशान होना पड़ रहा है। जवाबदारों के नहीं होने से डॉक्टर व स्टाफ कर्मचारी भी अपनी मनमानी कर रहे हैं। मरीजों के परिजन अस्पताल में अव्यवस्था की शिकायत करने के लिए अधीक्षक कार्यालय पहुंचते हैं तो वहां किसी अधिकारी को न पाकर लौटना पड़ रहा है। साथ ही मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं की परीक्षा भी होनी है। ऐसे में विभागीय शिक्षकों के न होने से इनका भविष्य भी दांव पर है।