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सुराजी गांव योजना’ से मजबूत हो रही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था: सीएम बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हमने विकास का ‘‘छत्तीसगढ़ मॉडल’’ अपनाया है। इस मॉडल में गांव के साथ-साथ शहरों के अर्थव्यवस्था को भी गतिशील बनाए रखने के साथ ही सभी वर्गों के समावेशी विकास पर जोर दिया गया है। सुराजी गांव योजना से एक ओर जहां छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है वहीं गांव के साथ-साथ शहरों की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है।
मुख्यमंत्री बघेल आज नवा रायपुर के एक निजी होटल में एनडीटीवी द्वारा छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया थीम पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री बघेल का प्रकृति प्रेम और छत्तीसगढ़ की माटी से जुड़ाव की झलक भी सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया कार्यक्रम में दिखी। उन्होंने एंकर के अनुरोध पर कार्यक्रम के अंत में ‘माटी होही तोर चोला रे संगी’ और ‘चोला माटी के हे रे एकर का भरोसा… चोला माटी के हे रे’……….. गीत की पंक्तियां भी गुनगुनाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हमने गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर योजना जैसी अनेक नवाचारी योजनाएं लागू की हैं, वहीं वनांचलों के विकास पर भी फोकस किया है। वनांचलों में समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज की खरीदी की पुख्ता व्यवस्था की है। हमने समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले वनोपज की संख्या 7 से बढ़ाकर 65 कर दी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में दर्जनों किस्म के लघु वनोपज होते हैं, दुर्लभ जड़ी-बूटियां होती हैं। हम इनके संग्रहण को प्रोत्साहित कर रहे हैं। आज हमारे यहां देश में सबसे ज्यादा लघु वनोपज इकट्ठा हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा लघु वनोपज के वैल्यू एडीशन की भी पहल की है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है। वनवासियों को तेंदूपत्ते का भरपूर लाभ दिलाने के लिए तेंदूपत्ते की संग्रहण दर 2500 रुपए मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपए मानक बोरा कर दिया है।

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