दिपांशु हो सकते हैं नए आईजी, प्रभारी IG रतनलाल डांगी बदल सकते है
रायपुर। दुर्ग के प्रभारी आईजी रतनलाल डांगी को कभी भी हटाया जा सकता हैं। उनकी जगह पर दिपांशु काबरा को आईजी बनाए जाने की चर्चा है। काबरा पहले भी दुर्ग के आईजी रह चुके हैं। दुर्ग से ही वे आईजी बनकर बिलासपुर गए थे।
डांगी के हटाए जाने की वजह लोकसभा चुनाव है। भारत निर्वाचन आयोग प्रभारी आईजी को स्वीकार नहीं करेगा। आचार संहिता लगते ही आयोग उनकी छुट्टी कर देगा। तब सरकार को आईजी के लिए तीन नामों का पेनल भेजना होगा आयोग को। उसमें से आयोग किसी एक नाम पर टिक लगाकर चीफ सेक्रेटरी को आईजी का आर्डर निकालने के लिए भेज देगा।
यह स्थिति चुनाव की दृष्टि से सरकार के लिए अच्छी नहीं होगी। इसमें हो सकता है, सरकार जिसे पसंद नहीं करती हो, उसे भी मजबूरी में आईजी अपाइंट करना पड़ जाए। दरअसल, डांगी अभी जूनियर हैं। वे 2020 में आईजी प्रमोट हो पाएंगे। चुनाव के पहले तो सरकार डीआईजी को भी प्रभारी आईजी बना सकती है। लेकिन, चुनाव के समय यह मुमकिन नही होता।
लोकसभा चुनाव के लिए 5 मार्च के बाद कभी भी आचार संहिता लग सकती है। इसको देखते दुर्ग के प्रभारी आईजी डांगी कभी भी वहां से हटाए जा सकते हैं। हालांकि, आईजी के लिए सरकार के पास विकल्प भी सीमित है। कल दो डीआईजी प्रमोट हुए, उनमें से आनंद छाबड़ा रायपुर के पहले से प्रभारी आईजी हैं। दूसरे हैं, केसी अग्रवाल। सरगुजा के आईजी हिमांशु गुप्ता भी एडीजी प्रमोट होने वाले हैं।
आईजी जीपी सिंह दो रोज पहले ही ईओडब्लू में भेजे गए हैं। वहीं, एसअरपी कल्लूरी को अपर परिवहन आयुक्त बनाया गया है। जाहिर है, दोनों नहीं जाएंगे दुर्ग। वैसे भी, दोनों की एडीजी प्रमोशन की फाइल अब अंतिम स्थिति में है। पीएचक्यू में भी आईजी के नाम पर सिर्फ दिपांशु काबरा बचते हैं। काबरा प्रदेश के पांच में से चार रेंज के आईजी रह चुके हैं। कुछ दिन के लिए वे सरगुजा के भी आईजी रहे थे। रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर के वे आईजी रह चुके हैं। हालांकि, रायपुर का कार्यकाल उनका कम दिन का रहा।