छत्तीसगढ़

नगरीय क्षेत्रों में भूमिहीनों को मिलेगा पट्टा, विधेयक विधानसभा में पारित

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय क्षेत्रों में भूमिहीन व्यक्तियों को उनके द्वारा किए गए कब्जे की शासकीय भूमि पर आवासीय प्रयोजन के लिए पट्टे प्रदान करने संबंधी विधेयक को भाजपा के विरोध के बाद पारित कर दिया गया।
विधानसभा में नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया ने बताया कि सबके लिए आवास के उद्देश्य की पुर्ति के लिए यह सुनिश्चित करना शहरी गरीबों को उनके वर्तमान निवास सथान पर ही बसाया जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में आवासीय पट्टा देने की घोषणा की थी। इसे पूरा करने के लिए सरकार यह प्रावधान किया है। उन्होंने बताया कि 19 नवंबर 2002 को किसी भूमिहीन व्यक्ति के द्वारा किसी नगरीय क्षेत्र में काबिज भूिम पर कब्जा होगा उसे उस तारीख से उसके पक्ष में पट्टा माना जाएगा। उन्होंने बताया कि 1 लाख 39 हजार 730 ऐसे परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। वहीं 65 हजार 780 लोगों को जिनका कब्जा ऐसी नजूल की जमीनों पर उन्हें लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि 8 सौ से 1200 वर्ग फुट क्षेत्र नगर पालिक क्षेत्र में और 700 से 1050 वर्ग फुट जमीन निगम क्षेत्र में शामिल है। रायपुर शहर के लिए 600 वर्गफुट में पर पट्टा देने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि कहीं पर इसका उपयोग व्यावसायिक प्रयोजनों से किया जा रहा है तो उसे भी नियमितिकरण किया जाएगा। मामले में नगरीय प्रशासन मंत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में पूर्व के पट्टे का नियमितिकरण और अन्य मामलों को सुलझाने के लिए कांग्रेस अपने घोषणा पत्र के अनुरूप भूमिहीन लोगों को पट्टा उपलब्ध कराने के लिए यह विधेयक लाया है।
भाजपा ने कहा कि विधेयक त्रुटि पूर्ण
मामले में भाजपा की ओर अजय चंद्राकर ने विधेयक के कई प्रावधानों की ओर ध्यान खींचा और इसे त्रुटि पूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि विधेयक में मोहल्ला समिति बनाने और प्रिमियम और भु-भाटक के मामले को स्पष्ट नहीं किया गया। वहीं पट्टे की समयावधि और उसके नियमितिकरण के मामलों को भी स्पष्ट नहीं किया गया है। 10 साल में इसका हस्तांतरण होने और ऐसे लोग जिन्हें पट्टा मिला था लेकिन उनके वारिसान की माैत हो गई है उनके मामले सबलेअ किया गया है तो उन्हें पट्टा मिलगा कि नहीं ऐसे मामलों को स्पष्ट नहीं किया गया है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि पट्टे के संबंध में लोगों के वारिसान के न रहने की दशा में उसका निर्धारण कैसे किया जाएगा इसका स्पष्ट प्रावधान विधेयक में नहीं है। साथ ही एक समयावधि में इसके नियमितिकरण को लेकर भी कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
दिव्यांगों का निकायों में एक पद पर होगा मनोनयन, विधेयक पारित
विधानसभा में आज नगर पालिका में दिव्यांग जनों के लिए एक पद आरक्षित कर ऐसे लोगों को मनोनयन करने का विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया के द्वारा लाए गए प्रस्ताव में बमाया कि प्रदेश के 168 नगरीय निकायों में दिव्यांग वर्ग के लोगों के नहीं चुने जाने पर उनका चयन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य में 6 लाख 24 हजार 653 विकलांग हैं, इनमें से 2 लाख 77 हजार 105 ऐसे हैं जािनकी 40 प्रतिशत विकलांगता है। मामले में भाजपा ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि उनको अपनी समस्या रखने में इससे आसानी होगी। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि इस पद को दो किया जाए, जिसमें पुरूष और महिला दाेनों वर्ग शामिल हो। छजकां विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह ने भी इसका समर्थन किया।

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