नई दिल्ली। चुनाव मैदान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मात देने के लिए कांग्रेस ने महागठबंधन का जो दांव चला था, लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद फेल होता नजर आ रहा है। बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस से देशभर में कहीं भी गठबंधन करने से इंकार कर दिया है। उधर बिहार में भी राजद के लालू यादव के तेवर तल्ख नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस ने भाजपा को चुनौती देने के लिए विपक्ष को एकजुट करने का भरसक प्रयास किया था, पर चुनाव पास आते ही इसमें दो फाड़ पड़ती नजर आ रही है। क्षेत्रीय दल एक बार फिर कांग्रेस से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। उत्तरप्रदेश के साथ ही मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान में भी सपा और बसपा कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।
मायावती के बाद लालू यादव के तेवरों ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कांग्रेस और राजद में सीटों के बंटवारे पर तनातनी दिखाई दे रही है। अगर जल्द ही दोनों दलों में सहमति नहीं बन पाती है तो बिहार में दोनों ही दलों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी यह साफ कर चुके हैं कि केंद्र की राजनीति में भले ही वे कांग्रेस के साथ हों, पर राज्य में उनका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भी हाल ही में दावा किया था कि भाजपा इन चुनावों में सबसे बड़े दल के रूप में उभरेगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि मोदी अगली बार प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे। इस दिग्गज नेता ने तो लोकसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी मैदान में उतरने से ही इंकार कर दिया।
इस बीच भाजपा ने एक बार फिर कांग्रेस में सेंध लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। पिछले 5 हफ्तों में कांग्रेस के 6 विधायकों को पार्टी में शामिल करा लिया है।