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छिपा हुआ पत्ता बसपा, 3 सीटें भी आईं तो हो  सकता है समीकरण प्रभावित

अनिरुद्ध दुबे
रायपुर। चुनाव परिणाम आने हफ्ते भर का समय शेष रह गया है। हर तरफ चर्चा भाजपा, कांग्रेस एवं जोगी कांग्रेस पर ही केन्द्रित नजर आ रही है, लेकिन एक पत्ता ऐसा भी है जो हर बार की तरह इस बार भी छिपा हुआ है। वो है बहुजन समाज पार्टी। बसपा, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस एवं भाकपा ने मिलकर इस बार 90 सीटों पर चुनाव लड़ा। जोगी कांग्रेस के 55, बसपा के 33 एवं भाकपा के 2 प्रत्याशी मैदान में थे। चुनाव होने के बाद कौन पार्टी कितनी सीटें लेगी वाली चर्चा भाजपा, कांग्रेस एवं जोगी कांग्रेस तक ही सीमित नजर आती रही है। बसपा का जिक्र कहीं-कहीं पर ही होते दिखता है। बसपा की दो से तीन सीटों पर जीतने की प्रबल संभावना बताई जा रही है। विशेषकर बसपा से जुड़ेे लोग चन्द्रपुर, पामगढ़, अकलतरा, जैजैपुर, जांजगीर चाम्पा एवं मस्तूरी सीटों को लेकर काफी आश्वस्त नजर आ रहे हैं। बसपा से तीन बार के विधायक रह चुके दाऊराम रत्नाकर कहते हैं- छत्तीसगढ़ पर बसपा सूप्रीमो मायावती की पूरी नजर है। आगे जनता कांग्रेस, बसपा एवं भाकपा का गठबंधन सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
उल्लेखनीय है कि बसपा ऐसी पार्टी रही है जिसकी एक या दो सीट के रूप में दबे पांव विधानसभा में हाजरी होती रही है। 2003 में सारंगढ़ से कामदा जोल्हे बसपा विधायक थीं। 2003 में बसपा की टिकट पर अकलतरा से सौरभ सिंह एवं पामगढ़ से दूजराम बौद्ध चुनाव जीते। वहीं 2013 में जैजैपुर से केशव चंद्रा बसपा की टिकट पर चुनाव जीतकर आए थे। माना यह जा रहा है छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार बसपा ने ज्यादा मजबूती के साथ 2018 का चुनाव लड़ा है। यही कारण है कि बसपा से जुड़े नेता दो से तीन सीटों पर अपनी जीत काफी आसान मान रहे हैं। उनके हिसाब से जीत का आंकड़ा तीन से ऊपर जा सकता है, लेकिन उससे कम नहीं। यदि बसपा, जनता कांग्रेस मिलकर चार या पांच सीट भी ले आते हैं और भाजपा-कांग्रेस का आंकड़ा कहीं 45 के भीतर जाकर सिमट जाता है तो गठबंधन निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है।

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