आरटीओ बैरियर फिर शुरु करने की मांग, सरकार को हर साल 128 करोड़ का राजस्व घाटा
ट्रांसपोर्टरों का प्रतिनिध मंड़ल मिला परिवहन मंत्री से
रायपुर। छत्तीसगढ़ में परिवहन विभाग की चेक पोस्ट(बैरियर) एवं उडनदस्ता की व्यवस्था खत्म करने असर अब प्रदेश को सवा साै करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक क्षति के रूप में सामने दिखाई दे रहा है। राज्य सरकार को चेक पोस्ट एवं उड़नदस्ते की जांच प्रणाली से साल भर में 140 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता था जो अब घटकर केवल 12 करोड़ रुपए रह गया है। यही नहीं जांच पड़ताल न होने तथा बेरियर बंद होने के कारण ट्रांसपोर्टरों को यह नुकसान हो रहा है कि वाहनो में बड़े पैमाने पर ओव्हर लोडिंग हो रही है। यही वजह है कि ट्रांसपोर्टर भी चाहते हैं कि प्रदेश में आरटीओ बैरियर की व्यवस्था फिर से शुरु की जाए। इस मामले को लेकर ट्रांसपोर्टरों के एक प्रतिनिधि मंड़ल ने गुरुवार को परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर से मुलाकात कर बैरियर प्रारंभ करने की मांग की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कल 16 मई की शाम इन लोगों ने परिवहन मंत्री से भेंट की। सिंडिकेट लाजिस्टिक, रिंग रोड नंबर-2, टाटीबंध, रायपुर के फतेसिंग संधु, सरबजीत सिंह, पलविन्दर सिंह, राजवेन्दर सिंह, तिजेन्दर सिंह एवं अन्य ट्रांसर्पोटरों ने छत्तीसगढ राज्य में बेरियर बंद होने से ट्रक मालिकों को होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराते हुए आग्रह किया कि ओव्हर लोड गाडियों की चेकिंग, मालवाहनों की रोड टैक्स की जांच एवं जीएसटी ई-वे बिल टैक्स चोरी को रोकने के लिए प्रदेश की सीमाओं में आरटीओ बेरियर (चेक पोस्ट) प्रारंभ किया जाना शासन हित में उचित होगा। उन्हांने बताया कि इन चेक पोस्ट के चालू होने से राज्य शासन को राजस्व की प्राप्ति तो होगी ही, साथ ही साथ ओव्हर लोड में लगाम, माल वाहनों की रोड टैक्स चेकिंग एवं ई-वे बिल के माध्यम से हो रही टैक्स चोरी पर अंकुश लगेगा। चेक पोस्ट समाप्त होने से प्रदेश के बाहर से आने-जाने वाले वाहनों की चेंकिग की कोई भी प्रणाली वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। चेक पोस्ट में वाहनों के चेंकिग के दौरान वाहन के समस्त दस्तावेजों की वैधता, प्रदूषण जॉच प्रमाण पत्र तथा वाहन के बकाया टैक्स की जानकारी चेक पोस्ट में प्राप्त हो जाती थी। जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ एक नक्सल प्रभावित राज्य होने के कारण आस-पास के राज्यों में भी नक्सल समस्या मौजूद है। सड़क मार्ग से हथियारों, विस्फोटकों तथा मादक पदार्था की अवैध परिवहन को रोकने के लिए वर्तमान में कोई नियमित प्रणाली विद्यमान नहीं है। ई-वे बिल में बढ़ती जा रही अनियमितता पर भी प्रभावी नियंत्रण सम्भव नहीं हो पा रहा है। ओव्हर-लोंडिग वाहनों से राज्य की सड़के क्षतिग्रस्त हो रही है तथा दुर्घटनाओं में भी काफी वृद्धि हो रही है। नेशनल परमिट प्राप्त वाहनों के संबंध में भी परमिट की शर्ता के उल्लंघन की शिकायतें प्राप्त होती रहती है। छ.ग. तथा सीमावर्ती राज्यों के बीच बडे पैमाने पर अवैध रूप से खनिज परिवहन की शिकायते भी प्राप्त होती रहती है, जिनके नियंत्रण के लिए उड़न-दस्ता एवं चेक पोस्ट आवश्यक है।
अन्य प्रांतों से छत्तीसगढ़ में लाकर चलाये जा रहे वाहनों की समयावधि निर्धारण के लिए चेक पोस्ट के अभाव में कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है जिससे इन वाहनों से प्राप्त होने वाले राजस्व की भी पृथक से हानि हो रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व में चेक पोस्ट तथा उड़न-दस्ता से राज्य को लगभग 140 करोड़ रूपये वार्षिक राजस्व प्राप्त होता था, जो वर्तमान में घटकर केवल लगभग 12 करोड़ रूपया वार्षिक रह गया है, जिससे राज्य शासन को काफी आर्थिक क्षति हो रही है। ट्रासपोर्टरों के मुताबिक ऐसी परिस्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाओं पर चेक पोस्ट प्रारंभ किया जाना राज्य हित में उचित प्रतीत होगा।