इंडिया ओपन बॉक्सिंग : मैरीकॉम, शिव, पंघाल ने जीते गोल्ड, भारत के खाते में कुल 57 पदक
छह बार की विश्व विजेता मैरी कॉम (51 किलोग्राम भारवर्ग), अमित पंघाल (52 किलोग्राम भारवर्ग) और शिवा थापा (60 किलोग्राम भारवर्ग) ने इंडिया ओपन अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी टूर्नामेंट के दूसरे संस्करण का अंत अपने-अपने भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीतते हुए किया। भारत ने चैंपियनशिप में 12 स्वर्ण, 18 रजत और 27 कांस्य पदक सहित कुल 57 पदक अपने नाम किए। भारतीय दल ने पिछले साल टूर्नामेंट में आठ पदक जीते थे।
करमबीर नबीन चंद्र बारदोलोई एसी इंडोर स्टेडियम में खेले गए इस टूर्नामेंट में एशियाई चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता सरिता देवी ने 60 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण अपने नाम किया। 57 किलोग्राम भारवर्ग के मुकाबले में नीरज ने मनीषा मौन को मात दे सोने का तमगा हासिल किया। फाइनल के मौके पर असम के मुख्यमंत्री सरबानंद सोनोवाल और भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के अध्यक्ष अजय सिंह मौजूद थे।
मैरी कॉम ने फाइनल में वेनिला दुआती को 5-0 से मात दी। यह मैरी का इंडिया ओपन का दूसरा स्वर्ण है। इससे पहले वो 48 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण जीत चुकी हैं।
पंघाल ने फाइनल में अपने ही देश के सचिन सिवाच को मात दी। सचिन का कद अमित से ज्यादा था बावजूद इसके अमित मुकाबला जीतने में कामयाब रहे। पहले राउंड में वह डिफेंसिव खेले, लेकिन दूसरे राउंड का अंत होने तक वह आक्रामक हो गए थे। यहां से अमित ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और सचिन को मात दी। पंघाल का इस साल यह तीसरा स्वर्ण पदक है। उन्होंने इससे पहले स्ट्रांजा कप और एशियाई चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता था।
मैच के बाद पंघाल ने कहा, “सचिन काफी लंबे हैं। मुझे लगता है कि मैंने अभी तक जितने मुक्केबाजों का सामना किया है उनमें वह सबसे लंबे हैं। मैं एशियाई चैम्पियनशिप में लंबे मुक्केबाजों से लड़ा था, लेकिन सचिन उनसे भी लंबे हैं। मेरी कोशिश थी या तो मैं उनके बहुत करीब जाऊं या दूरी बनाए रखूं। दूर रहने से मुझे उनकी तकनीक के बारे में भी पता चल रहा था और इसके बाद मैंने पास जाकर आक्रमण किया।”
शिवा ने अपने घर में बेहतरीन प्रदर्शन कर भारत के ही मनीष कौशिक को मात दी। इसी के साथ शिवा ने 2018 में मनीष के हाथों मिली हार का बदला भी ले लिया। गुवाहाटी के शिवा ने यह मैच 5-0 से जीता।
स्थानीय मुक्केबाज जमुना बोरो ने वाई संध्यारानी को 5-0 से शिकस्त देकर पदक अपने नाम किया। भाग्यवती कचरी ने 75 किग्रा वर्ग में पूजा को 3-2 से मात दी। अंकुशिता बोरो को 64 किग्रा वर्ग इटली की फ्रांसेसा अमातो से 0-5 से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
सरिता देवी ने फाइनल में सिमरनजीत कौर को 3-2 से मात देते हुए स्वर्ण हासिल किया। यह सरिता का बीते तीन साल में पहला स्वर्ण है। इससे पहले वह दक्षिण एशियाई खेलों-2016 में स्वर्ण जीती थीं। उन्होंने यह पदक अपनी मां को समर्पित किया है जिन्होंने कैंसर के कारण अपनी जान गंवा दी थी।
विश्व चैम्पियनशिप की रजत पदक विजेता सोनिया को मात देने के बाद नीरज ने अपना दबदबा फाइनल में भी बरकरार रखा और मनीषा को 5-0 से पटखनी दी।
एशियाई चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता आशीष कुमार ने 69 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में बेहतरीन क्लास का परिचय देते हुए दुयोर्धन सिंह नेगी को 5-0 मात दी। स्थानीय खिलाड़ी जमुना बोरो ने वाई. संध्यारानी को 5-0 से हराया।
विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता लवलिना बोरगोहेन को हालांकि 69 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। उन्हें इटली की असुंता केनफोरा ने 3-2 से हराया।
एशियाई चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता दीपक ने 49 किलोग्राम भारवर्ग में गोविंद कुमार साहानी को 5-0 से पटका।
बेहतरीन फॉर्म में चल रहे कविंदर सिंह बिष्ट को भी आखिरीकार हार मिली। उन्हें चाटचाई डेचा बुटदी ने हराया। बिष्ट का इस साल यह दूसरा रजत पदक है। उन्हें पिछले महीने ही एशियाई चैंपियनशिप के फाइनल में हार कर रजत से संतोष करना पड़ा था।
64 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में रिंग में उतरे रोहित टोकस को पहले ही दौर में घुटने में चोट लगी और वह मुकाबला पूरा नहीं कर पाए। इसी कारण उनके विपक्षी मॉरिशस के कोलिन लुइस रिचार्नो को स्वर्ण पदक मिला।
आशीष कुमार से 75 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण की उम्मीद थी लेकिन सेमीफाइनल में सिर पर लगी चोट के कारण वह रिंग में नहीं उतरे और उनके विपक्षी फिलिपिंस के फेलिक्स डेलोस सांतोस को स्वर्ण मिला।