छत्तीसगढ़

महाधिवक्ता को हटाने के मामले में सियासत गरमाई

रायपुर। छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता को हटाने के मामले में सियासत गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने ट्वीट कर इसे राज्य में संवैधानिक संकट करार दिया है। मामले में डा. रमन सिंह और भाजपा सांसद सुनील सोनी ने उन्हें हटाने और बगैर इस्तीफे के ही स्वीकृति को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
शुक्रवार को हुए घटनाक्रम के बीच सरकार ने आदेश जारी कर महाधिवक्ता कनक तिवारी को हटाकर उनकी जगह अपर महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा को प्रदेश का नया महाधिवक्ता नियुक्त किया। इस संबंध में राज्यपाल के नाम से विधि और विधायी कार्य विभाग ने पत्र जारी कर दिया है। अब इस मामले में कनक तिवारी अब भी इस बात पर अड़े हैं कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। उन्होंने चुनौती दी है कि उनका इस्तीफा सरकार दिखा दे।
मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सीएम भूपेश बघेल पर हमला बोला है। डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल पूछा है कि जब महाधिवक्ता कनक तिवारी ने इस्तीफा नहीं दिया है, तो उन्होंने किस प्रकार महाधिवक्ता का इस्तीफा स्वीकृत किया है?
उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। महाधिवक्ता कनक तिवारी के बारे में राजभवन ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है, तो मुख्यमंत्री बताएं कि उन्होंने किस प्रकार महाधिवक्ता का इस्तीफा स्वीकृत किया है?
मुख्यमंत्री स्थिति स्पष्ट करें : सुनील
महाधिवक्ता विवाद में रायपुर सांसद सुनील सोनी भी कूद पड़ हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। श्री सोनी ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है कि यह कैसा संवैधानिक संकट छत्तीसगढ़ में पैदा होता जा रहा है। मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि महाधिवक्ता कनक तिवारी ने इस्तीफा दिया है। महाधिवक्ता कह रहे हैं कि उन्होंने इस्तीफा ही नहीं दिया। आखिर इतने गरिमामय पद के साथ इस तरह का खिलवाड़ क्यों? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
मामले की जांच करे हाईकोर्ट : जोगी
इधर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा कि कनक तिवारी का स्पष्ट कहना है कि जब उन्होंने इस्तीफ़ा दिया ही नहीं, तब मुख्यमंत्री ने उसे कैसे न केवल मंज़ूर कर लिया, बल्कि नए महाधिवक्ता की नियुक्ति भी रातों-रात कर दी। जोगी ने कहा कि कनक तिवारी के इस कथन से राज्य पर संवैधानिक संकट छा गया है। महाधिवक्ता अत्यंत महत्वपूर्ण और संवैधानिक पद है, उसके साथ इस प्रकार का खिलवाड़ करना मुख्यमंत्री को बिलकुल शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा है कि आख़िर क्या कारण है कि कनक तिवारी जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता को इस तरह अपमानित कर बर्खास्त किया गया है। इस अत्यंत ही गंभीर मामले की उच्च न्यायालय को संज्ञान लेते हुए जांच करनी चाहिए।
काम करने की अनिच्छा जताई, तब की गई नई नियुक्ति : अकबर
महाधिवक्ता की नियुक्ति पर चल रहे विवाद पर विधि-विधायी मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है कि नई नियुक्ति पूरी प्रक्रिया और नियमों के आधार की गई है। उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता ने काम करने के लिए अनिच्छा जताई थी, इसलिए नए महाधिवक्ता की नियुक्ति की गई है। महाधिवक्ता के इस्तीफा दिए बगैर इस्तीफा मंजूर कर लिए जाने संबंधी सवाल और चर्चाओं को लेकर श्री अकबर ने साफ कहा कि पूर्व महाधिवक्ता की काम करने में अनिच्छा को लेकर बात सामने आई होगी, तभी निर्णय लिया गया है। मंत्री ने कहा कि सरकार इस विषय पर विवाद नहीं चाहती। दस्तावेजों के आधार पर निर्णय हुआ है, इसलिए इसे विवादित नहीं किया जाना चाहिए। इस नियुक्ति में बाकायदा राज्यपाल का अनुमोदन भी लिया गया है। महाधिवक्ता का अपने पद पर बने रहना या हटाया जाना राज्यपाल के निर्देश पर होता है।

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