छत्तीसगढ़

आदिवासियों के आंदोलन का चौथा दिन, पूर्व सीएम के साथ मजदूर संगठन का मिला समर्थन

बस्तर। छत्तीसगढ़ में बस्तर के बैलाडीला में 13 नंबर की खदान अडानी को देने का विरोध जारी है। आंदोलन का आज चौथा दिन है। रविवार को भी दिनभर संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति के नेतृत्व में हजारों आदिवासी एनएमडीसी के चेक पोस्ट में डटे रहे। वहीं आदिवासियों को समर्थन देने के लिए जेसीसीजे अध्यक्ष अजीत जोगी भी पहुंचे। मजदूर संगठन ने भी आदिवासियों के आंदोलन को समर्थन दे दिया है।
दरअसल बैलाडीला के खदान नंबर-13 को 2015 में पर्यावरण विभाग की अनुमति मिली। हैरानी की बात है कि एनएमडीसी द्वारा टेंडर जारी किए गए टेंडर से ठीक पहले सितंबर 2018 में अडानी ग्रुप ने बैलाडीला आयरन और माइनिंग कंपनी गठित की। दिसंबर 2018 में कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट भी मिल गया। अब जब सरकार बदल गई तो सरकार इसे पिछली सरकार का निर्णय बता रही है। सियासी खींचतान के बीच सबके जहन में सवाल यही है कि नंदीराज पहाड़ को बचाने के लिए आदिवासियों का जो संग्राम शुरू हुआ है, वो कहां जाकर और कैसे रुकेगा।
पारंपरिक लोकनृत्य करके आदिवासी दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला में खदान नंबर 13 के खनन का काम अडानी ग्रुप को देने का विरोध कर रहे हैं। आदिवासियों के आंदोलन को मजदूर संगठन का भी समर्थन मिल चुका है। वहीं सियासी पार्टियां भी नफा-नुकसान टटोल रही हैं। इसी कड़ी में जेसीसीजे अध्यक्ष अजीत जोगी भी आदिवासियों के बीच पहुंचे, और इस मामले पर भाजपा के साथ ही कांग्रेस को भी घेरा।
पूर्व सीएम अजीत जोगी ने पेट्टोड मेट्टा और नंदीराज पर्वत जाकर आदिवासी आस्था के प्रतीक की पूजा अर्चना भी की। जिस 13 नंबर खदान को लेकर आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं, उसमें अडानी ग्रुप की ओर से सड़क बनाने के लिए बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए और उसे जलाने की कोशिश भी की गई है। फिलहाल 6 खदान संचालित है, जिससे सरकार को सालाना हजारों करोड़ की कमाई होती है। फिलहाल इन खदानों में 10 प्रतिशत उत्खनन भी नहीं किया गया है। बावजूद इसके नये खदान खोले जाने पर सवाल उठ रहे हैं और अब आदिवासियों ने भी मोर्चा खोल दिया है।
अदानी को खदान देने का विरोध कर रहे आदिवासियों के पक्ष में आईं मेधा पाटकर
नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर रविवार को भिलाई सेक्टर 6 स्थित मलयालम ग्रंथालय पहुंची। उनके साथ सैकड़ों कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे। अदानी को बैलाडीला के नंदिराज पर्वत के एनएमडीसी की डिपाजिट 13 नंबर खदान देने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस सरकार ने अकेले यह फैसला किया होगा। इनको देखना पड़ेगा केरल में कम्युनिस्टों ने वेंगन प्रोजेक्ट दे दिया था, तो हमने वहां जाकर विरोध किया था। हम विरोध करने वाले के पक्ष में हैं।
नर्मदा बचाऑ आन्दोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा की अदानी क्या है, उन्हें समझने के लिए जनता होशियार हो गई है। अदानी ऐसी बड़ी कंपनी है जो 17 साल में 40 से 50 हजार करोड़ की कमाई अकेले गुजरात में की है। ऐसी कंपनियों को और धन दौलत देना, वन अधिकार कानून को न मानने के समान है। आदिवासी भाइयों के जल जंगल जमीन को अब हम नहीं लूटने देंगे। उन्होंने कहा की अगर ये नहीं मानते हैं, तो हमें भी गिरफ्तार करो। अब बस यही बाकी रह गया है।
मेरी पहल अडानी के खिलाफ रहेगी-विधानसभा अध्यक्ष
बस्तर के बैलाडीला में 13 नंबर की खदान के साथ प्रदेश भर में जितनी भी खदानें अडानी को दी गई है, उसका विरोध जमकर देखने को मिल रहा है। ऐसे में अब छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा है कि, मेरी पहल अडानी के खिलाफ रहेगी, और जहां-जहां अडानी को कोयले की खदान दी गई है, वहां हाथी का कॉरिडोर बनाया जाएगा। चरणदास महंत ने कहा कि कोरिया कोरबा बिलासपुर सरगुजा ये सभी जगह हाथी का कॉरिडोर बनाया जाएगा। कोरिया की पानी कि परेशानी को लेकर महंत ने कहा है कि, ज्योत्सना महंत के सांसद निधि में मिलने वाली सभी रकम को पानी की समस्या से निपटने में लगा देंगे। विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने पत्नी ज्योत्सना महंत से कहा है कि पहले साल के सांसद मद का सारा पैसा पानी की समस्या में लगाना है और जिले में पानी की समस्या से निपटना है।
खाली बैठे हैं 25 सौ मजदूर,एनएमडीसी को 24 करोड़ का नुकसान
किरंदुल में आदिवासियों का आंदोलन चौथे दिन भी जारी है. आदिवासी अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर पिछले 5 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं इस आंदोलन से हृरूष्ठष्ट के करीब 25 सौ मजदूर खाली बैठे हैं.आदिवासी आंदोलन का चौथा दिनआदिवासी ये आंदोलन हृरूष्ठष्ट के सामने कर रहे हैं, जिसके चलते हृरूष्ठष्ट का उत्पादन ठप पड़ा है. उत्पादन नहीं होने से हृरूष्ठष्ट को करीब 24 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है.दरअसल, आदिवासी बैलाडीला के नंदराज पर्वत पर डिपॉजिट नंबर 13 को अडानी को दिए जाने से नाराज है. आदिवासियों का मांग है कि पर्वत पर खनन नहीं किया जाए. आदिवासियों का कहना है कि नंदराज पर्वत पर उनके देवी-देवताओं का निवास है, लिहाजा पर्वत पर किसी भी प्रकार का खनन नहीं किया जाना चाहिए, आदिवासियों इस आंदोलन को जेसीसीजे प्रमुख अजीत जोगी का समर्थन मिला है।

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