आदिवासी आंदोलन- किरंदुल के बाद बचेली पहुंचे
आंदोलनकारी, 200 ग्रामीण हुए बीमार आदिवासी आंदोलन का 5वां दिन
दंतेवाड़ा। नंदराज पर्वत पर खनन के खिलाफ चल रहा आदिवासियों का आंदोलन 5वें दिन भी जारी है. आदिवासी पिछले चार दिनों से किरंदुल में प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं मंगलवार को आंदोलनकारी 1 किमी पैदल चलकर बचेली पहुंच गए हैं.किरंदुल एनएमडीसी में उत्पादन ठप करने के बाद आंदोलनकारी अब बचेली में उत्पादन ठप करने की रणनीति बना रहे हैं. बचेली में उत्पादन ठप होने पर हृरूष्ठष्ट को करोड़ों रुपए का नुकसान होगा।
ऐसा होने पर एक हजार ट्रकों के पहिए थम जाएंगे, वहीं मालगाड़ी भी प्रभावित होगी.खराब हो रही ग्रामीणों की तबीयतवहीं भीषण गर्मी में खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन करने के चलते कई आदिवासियों की तबीयत खराब होने लगी है। 200 से अधिक ग्रामीणों को जिला अस्पताल पहुंचाया गया है, लेकिन आदिवासी अपनी मांग को लेकर डटे हुए हैं.सर्व आदिवासी समाज ने दिया समर्थन।
पिछले शनिवार को बैलाडीला के फुटबाल ग्राउंड में जिलेभर के आदिवासी पारंपरिक वेशभूषा और तीर धनुष लेकर एकत्र हुए.मंत्री कवासी लखमा ने केंद्रीय मंत्री से आंदोलन को लेकर मुलाकात की है। लखमा ने इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री से मिलने की बात कही है। आदिवासियों ने कहा कि जल, जंगल, जमीन हमारी है और हम किसी भी हाल में यह खदान खुलने नही देंगे.बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल क्षेत्र में आदिवासियों ने लामबंद होकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है।इधर सर्व आदिवासी समाज ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है. सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष बीपीएस नेताम ने कहा कि आदिवासियों के साथ नाइंसाफी नहीं होने देंगे. सरकार अपने फायदे के लिए जंगड़, पहाड़ बेच रही है. नेताम ने कहा कि अभी 200 गांव के आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं, आने वाले वक्त में पूरे प्रदेश के आदिवासी आंदोलन करेंगे। नेताम ने कहा कि राज्य सरकार को इसमें सीधे-सीधे हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इतना बड़ा विरोध हो रहा है, इसका ठेका निरस्त होना चाहिए।
क्या है अपडेट–
– मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, ‘रमन सिंह को पहले यह बताना चाहिए कि उनकी सरकार अडानी को रूह्र देने के पक्ष में है या नहीं.’ बघेल ने कहा कि, दूसरी बात ये है कि, ‘जब भी कोई सरकार फैसला करती है, तो वर्तमान सरकार, पिछली सरकार के फैसले को आगे बढ़ाने का काम करती है. अगर विभाग ने अनुमति दी होगी, तो पिछले सरकार के फैसले को ही आगे बढ़ाया गया होगा।
– अमित जोगी ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर पर सीधे-सीधे आरोप लगाया है. जोगी ने कहा कि 12 फरवरी को मोहम्मद अकबर के नेतृत्व में पर्यावरण मंडल की बैठक हुई थी, जिसमें नंद राज पर्वत (जहां आदिवासियों के देवता विराजमान हैं) उसे डिपॉजिट 13 में बदलकर अडानी ग्रुप को लौह अयस्क की खुदाई के लिए दिया गया था, जिसके दस्तावेज मौजूद हैं. अमित जोगी के आरोपों को पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने खारिज किया है. उन्होंने साफ कहा है कि पेड़ काटने की कोई अनुमति उनकी तरफ से नहीं दी गयी है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण विभाग की तरफ से उनके पास इस संबंध में अब तक कोई फाइल ही नहीं आई है और न ही कोई अनुमति दी गई है। इस मामले में कांग्रेस सरकार द्वारा कोई फैसला नहीं लिया गया है।