लोहा खरीदने आए कोरियन की टीम को आंदोलनकारियों ने घेरा, हड़कंप
सरकार द्वारा मांगे मान लिए जाने के बाद भी आंदोलन का विस्तार, बचेली माइंस भी किया ठप
दंतंवाड़ा/। बैलाडीला के डिपोजिट 13 में भड़की आग अब नगरनार पहुंची गई है। आंदोलनकारियों ने कोरिया से नगरनार स्टील प्लांट का लोहा का सौदा करने आए मल्टीनेशनल कंपनी पास्को के अफसरों को घेर लिया। छह सदस्यीय टीम को घेरने की खबर जैसे ही मिली दिल्ली, हैदराबाद से रायपुर तक हड़कंप मच गई। जगदलपुर कलेक्टर अय्याज तंबोली तुरंत मौके पर पहुंचे। पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद कोरियन टीम को सुरक्षित ले गई।
कोरिया का पास्को लोहा क्षेत्र का जाना माना ग्रुप है। महाराष्ट्र में उसका प्लांट है। उसके लिए पास्को को लोहा आयात करना पड़ता है। एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट निर्माण का काम लगभग पूरे होने वाले हैं। पास्को कंपनी ने नगरनार के प्रोडक्शन के लिए एमओयू करने से पहिले प्लांट को देखने के लिए अपने छह सीनियर एक्जीक्यूटिव को नगरनार भेजा था। कोरियन टीम जैसे ही नगरनार पहुंची ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। बताते हैं, कोरियन टीम ने इस घटना की जानकारी दिल्ली स्थित कोरियन एंबेसी को भी दे दी है।
बैलाडीला के आंदोलनकारियों ने किरंदुल के बाद कल से एनएमडीसी के बचेली माइंस को भी माइनिंग ठप कर दिया। जबकि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को सुनने के बाद उनकी सारी मांगें मान ली थी। सीएम ने पेड़ कटाई रोकने के साथ ही ग्राम सभा में पारित प्रस्ताव की जांच का आदेश दिया था। सीएम का निर्देश मिलते ही दंतेवाड़ा कलेक्टर टीपी वर्मा ने 10 मिनट के भीतर दंतेवाड़ा एसडीएम के नेतृत्व में जांच टीम गठित कर दी। लेकिन, बस्तर सांसद जब सरकार के फैसले की जानकारी देकर आंदोलन खतम कराने किरंदुल पहुंचे तो आंदोलनकारियों ने लिखित में सरकार का आदेश मांगकर रोडा लगा दिया। यहीं नहीं, एसडीएम से तीन दिन के भीतर ग्राम सभा के प्रस्ताव की जांच कराने की मांग कर रहे। जब तक जांच नहीं होगी, वे किरंदुल और बचेली गेट से नही हटने का ऐलान कर दिया।
किरंदुल के बाद बचेली माइंस को भी ठप कर देने से एनएमडीसी के प्रोडक्शन का ग्राफ एकदम नीचे आ गया है। एनएमडीसी के पूरे प्रोडक्शन का 70 प्रतिशत से अधिक उत्पादन दंतेवाड़़ा से होता है। दोनों माइंस से एनएमडीसी और रेलवे को प्रतिदिन 60 करोड़ रुपए की आमदनी होती है। एस्सार को भी हर रोज तीन करोड़ का नुकसान हो रहा। राज्य सरकार को भी एनएमडीसी से साल में करीब 12 सौ करोड़ की रायल्टी मिलती है। सीएसआर मद में एनएमडीसी बस्तर क्षेत्र के विकास पर करीब ढाई सौ करोड़ खर्च करता है सो अलग है।