छत्तीसगढ़

4500 रनिंग स्टाफ ने 24 घंटे उपवास रखकर पटरी पर दौड़ाई ट्रेन

रायपुर। रनिंग कर्मचारियों ने माइलेज भत्ता निर्धारण, वेतन विसंगति व रेलवे के निजीकरण सहित अन्य मांग को लेकर सोमवार को 24 घंटे का उपवास रख ट्रेनों का संचालन किया। कर्मचारियों ने कहा कि अब तक 1980 के फार्मूले को दरकिनार करते हुए रेलवे बोर्ड ने बिना संवैधानिक गणना के ही रनिंग भत्ते का निर्धारण दिया। वहीं रेलवे की प्रमुख 14 इकाई का निजीकरण कर रही है। इसके कारण सोमवार से लोको पायलट व अन्य रनिंग स्टाफ केन्द्र सरकार की नीतियों का विरोध करते रहे। साथ मांग न माने जाने पर हड़ताल की चेतावनी दी है।
आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के उपाध्यक्ष वीके तिवारी ने बताया कि सात सूत्रीय मांग को लेकर पूरे देश में रनिंग स्टाफ 24 घंटे उपवास रख कर ट्रेनों का परिचालन कर भारतीय रेल में हो रहे निजी व निगमीकरण का विरोध कर रहा है। रेलवे कर्मचारियों की मांग पेंशन नीति में बदलाव को लेकर भी है। रेलवे ने 2004 से नई पेंशन स्कीम लागू की है इसमें काफी खामियंा भी हैं। 2004 के बाद रिटायर हुए कर्मचारियों को पेंशन के नाम पर महज 1 से 2 हजार रुपए पेंशन के मिल रहे हैं। इससे रिटायर्ड कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
रनिंग स्टाफ कर्मचारियों ने अपना विरोध प्रर्दशन करते हुए रेलवे स्टेशन व डीआरएम कार्यालय के सामने धरना प्रर्दशन किया। कर्मचारियों ने कहा कि शीध्र मांग नहीं मानी गई तो भविष्य में आंदोलन के सिवा कोई रास्ता नहीं रह गया है। आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन उग्र आंदोलन करेंगा। धरना प्रर्दशन में उसलापुर ट्रेनिंग सेंटर के प्रशिक्षु भी शामिल हुए।
न घर में खाएंगे और न ही बाहर में खाएंगे-अपनी सात सूत्रीय मांग को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग को लेकर बिलासपुर मंडल के 4500 लोकों पायलटों ने उपवास रखा। लोको पायलटों ने बताया कि वह न तो घर में खाना खाएगें और न ही बाहर में। भारतीय रेलवे की लगातार मनमानी के चलते लोको पायलटों को सर्वाधिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

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