100 घंटे की मशक्कत के बाद काबू में आया मदमस्त गणेश ट्रेंकुलाइज कर किया गया वश में
रायपुर। आखिरकार खूंखार हो चुके गणेश हाथी को वन विभाग ने पकड़ लिया है। 100 घंटे चल आपरेशंस के बाद कोरबा के उदबोरा जंगल में वन विभाग की टीम ने गणेश हाथी को अपने कब्जे में लिया। फारेस्ट विभाग के वाइल्ड लाइफ चीफ अतुल शुक्ला खुद इस आपरेशंस को लीड कर रहे थे, पिछले 40 घंटे से लगातार गणेश हाथी की एक्टविटी पर नजर रखी हुई थी। फारेस्ट विभाग के सामने इस बात की चुनौती थी कि बिना नुकसान पहुंचाये ना सिर्फ गणेश को पकड़ा जाये, बल्कि कोशिश ये भी थी कि गणेश उत्तेजित होकर कोई जनहानि ना पहुंचाये। खुशकिस्मती की बात ये रही कि अतुल शुक्ला के नेतृत्व में वाइल्ड लाइफ की टीम दोनों मिशन में कामयाब रही।
गणेश को ट्रेंकूलाइज कर पकड़ा गया है, जिसके बाद अब उसे सूरजपुर के पिंगला स्थित हाथी रेस्क्यू सेंटर ले जाया जा रहा है। अतुल शुक्ला ने बताया कि वाइल्ड लाइफ आफ इंडिया की टीम भी छत्तीसगढ़ पहुंची हुई है, जिनसे बातचीत कर ये फैसला लिया जायेगा कि गणेश हाथी को रेस्क्यू सेंटर में रखा जाये या फिर उसे कोर एरिया में छोड़ दिया जाये। हालांकि ज्यादा उम्मीद है कि गणेश हाथी को रेस्क्यू सेंटर में नहीं, बल्कि उसे कोर एरिया में छोड़ दिया जाये। अतुल शुक्ला ने बताया कि करीब 100 से ज्यादा फारेस्ट कर्मियों की टीम इस काम में लगी हुई थी, वहीं हाथियों के मुवमेंट व एक्शन को लेकर लगातार विशेषज्ञों से भी चर्चा की जा रही थी। उन्होंने इस मिशन बेहद मुश्किल बताते हुए कहा था कि गणेश हाथी चूंकि बेहद खूंखार हो चुका था, लिहाजा रिस्क काफी हाई था। ऐसे में वन विभाग की टीम ने बेहद ही संजीदगी और संयम के साथ पूरे आपरेशंस को अंजाम दिया और गणेश को पकडऩे के साथ वो मिशन कामयाब हुआ। गणेश हाथी को लेकर पिछले दिनों ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी बातचीत की थी और उनसे अनुरोध किया था कि गणेश हाथियों के रिहेबिटेड सेंटर में रखने और ना रखने के साथ-साथ उसके रेस्क्यू पर मानवीय दृष्टिकोण से भी सरकार फैसला ले। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आश्वस्त किया था कि इस मुद्दे पर सरकार संजीदगी से फैसला लेगी।
पीपुल्स फार एनीमल की छ्त्तीसगढ़ चीफ कस्तूरी बल्लाल ने कल इस मामले को लेकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर से मुलाकात की थी और गणेश हाथी के रिहेबिलिटेशन को लेकर उनसे अनुरोध किया था। हालांकि फिलहाल तो गणेश को सूरजपुर के पिंगला ले जाया जा रहा है, क्योंकि ट्रेंक्यूलाइजेशन के बाद तय वक्त में ही उसे दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है, लिहाजा वन विभाग का पूरा फोकस तत्काल उसे पिंगला पहुंचाना है, हालांकि इसमें अभी 15 से 16 घंटे का वक्त लग जायेगा।